MP Ki Baat: लव जिहाद पर कानूनी पहरा! लव जिहाद के खिलाफ ये सबसे सख्त कानून?

MP Ki Baat: लव जिहाद पर कानूनी पहरा! लव जिहाद के खिलाफ ये सबसे सख्त कानून?

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  • Publish Date - December 26, 2020 / 05:44 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:51 PM IST

भोपालः यूपी के बाद अब मध्यप्रदेश में भी लव जिहाद के खिलाफ सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। शनिवार सुबह आनन-फानन में बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में लव जिहाद विरोधी विधेयक को मंजूरी दी गई है। इसमें 19 प्रावधान है। सरकार का दावा है कि लव जिहाद के लिए ये देश में सबसे सख्त कानून होगा। वहीं कांग्रेस ने नए कानून की जरुरत पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

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विधानसभा सत्र से ठीक दो दिन पहले शिवराज कैबिनेट ने लव जिहाद के खिलाफ विधेयक को मंजूरी दे दी है। शनिवार सुबह कुछ मिनट चली बैठक में प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित किया गया। इसमें कुल 19 प्रावधान है। नए कानून के मुताबिक धर्म परिवर्तन किए जाने पर कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल जेल का प्रावधान है। महिला,नाबालिग,एससी, एसटी का धर्म परिवर्तन करवाने पर दो से दस साल तक जेल। अपना धर्म छिपाकर धर्म परिवर्तन किए जाने पर 3 से दस साल। सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 5 से 10 साल सजा का प्रावधान है। नए कानून के मुताबिक किसी भी व्यक्ति का पैतृक धर्म वही होगा जो जन्म के समय उनके पिता का धर्म था। यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे 6 दिन पहले कलेक्टर को सूचना देनी होगी। यदि वो ऐसा नहीं करता है तो कम से कम तीन साल और अधिकतम पांच साल की सजा का प्रावधान है। नए कानून के मुताबिक यदि कोई पंडित या मौलवी किसी मामले में जबरदस्ती शादी करवाने का आरोपी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार का दावा है कि लव जिहाद के खिलाफ ये सबसे सख्त कानून है।

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उत्तरप्रदेश में कैबिनेट ने नवंबर महीने में ही लव जिहाद पर अध्यादेश को पास कर दिया था, उसके बाद अब मध्यप्रदेश में भी इसे मंजूरी दे दी गई है। हरियाणा भी लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी में है यानि देश के तमाम बीजेपी शासित राज्य लव जिहाद के खिलाफ सक्रिय दिख रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद अब इस पर सियासत भी शुरु हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि वो धर्मांतरण के तो खिलाफ है लेकिन नए कानून की आखिर क्या जरुरत है। दरअसल इस बिल को आनन फानन में कैबिनेट में मंजूरी देने की बड़ी वजह 28 तारीख से शुरु हो रहा विधानसभा का सत्र है, क्योंकि सरकार इस सत्र में ही इस कानून को पास करवाना चाहती।

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