मोदी सरकार भारत में निर्दोष पत्रकारों को निशाना बना रही है : विकास उपाध्याय, असहमति पर नकेल कसने राजद्रोह कानून का किया जा रहा इस्तेमाल

मोदी सरकार भारत में निर्दोष पत्रकारों को निशाना बना रही है : विकास उपाध्याय, असहमति पर नकेल कसने राजद्रोह कानून का किया जा रहा इस्तेमाल

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  • Publish Date - February 5, 2021 / 09:42 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:47 PM IST

रायपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने आज एक बयान जारी कर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह पत्रकारों को लगातार निशाना बना कर उनके खिलाफ झूठे आपराधिक मामले दर्ज कर रही है। विकास ने कहा,सरकार के आलोचकों को राष्ट्र-विरोधी घोषित कर मोदी सरकार अतिरिक्त-क़ानूनी, अनौपचारिक, आपातकालीन स्थिति में रहने मजबूर कर दिया है और प्रेस की स्वतंत्रता पर लगातार हमलों की वजह से ही भारत का लोकतंत्र कमज़ोर होता जा रहा है।

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विकास उपाध्याय ने जारी अपने बयान में इस बात को लेकर भी आशंका जाहिर की है कि हो सकता है मोदी सरकार उनके इस बयान को लेकर भी उनके खिलाफ मामला दर्ज कर सकती है। विकास उपाध्याय ने कहा,हम ऐसे ध्रुवीकरण वाले समय में जी रहे हैं, जहां सरकार के आलोचकों को राष्ट्र-विरोधी घोषित कर दिया जाता है। विकास ने बताया कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की 26 जनवरी को रैली में हुई हिंसा के बाद झड़पों में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी। इन प्रदर्शनों को कवर करने वाले आठ पत्रकारों के ख़िलाफ़ राजद्रोह और राष्ट्रीय एकता के ख़िलाफ़ शत्रुतापूर्ण बयान देने की आपराधिक धाराओं के तहत मामले दर्ज किए हैं।जिसका वे कड़े शब्दों में विरोध करते हैं।

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विकास उपाध्याय ने उस दिन को याद दिलाया जब प्रधानमंत्री मोदी 2014 की गर्मियों में कार्यभार संभालने के एक महीने बाद कहा था कि “अगर हम अभिव्यक्ति की आज़ादी की गारंटी नहीं दे सकते तो भारत का लोकतंत्र कायम नहीं रहेगा।” और आज वे इसके ठीक उलट कर रहे हैं। यही वजह है कि पूरा भारत वर्ष अक्सर जिस जीवंत और प्रतिस्पर्धी मीडिया पर गर्व करता था वह पिछले एक साल में 180 देशों के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में दो पायदान नीचे खिसककर 142 पर आ गया है। आज मोदी मीडिया बनकर रहने को मजबूर किया जा रहा है, और जो इस एजेंडा से बाहर है उस मीडिया को डराने, परेशान करने और धमकाने का प्रयास हो रहा हैं।

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विकास उपाध्याय ने कहा,वेबसाइट आर्टिकल-14 की ओर से जुटाए आंकड़ों के मुताबिक़, बीते एक दशक में नेताओं और सरकारों की आलोचना करने वाले 405 भारतीयों के ख़िलाफ़ राजद्रोह के मामले दर्ज हुए हैं। इनमें ज़्यादातर मामले 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद दर्ज किए गए। विकास ने कहा,भारत पत्रकारों के लिए एक असुरक्षित जगह बनती जा रही है। उन्होंने एक अध्ययन के हवाले से कहा, साल 2020 में 67 पत्रकारों को गिरफ़्तार किया गया और क़रीब 200 पर हमले हुए। विकास उपाध्याय ने आशंका जाहिर की है कि आगे चल कर मोदी सरकार और भी पत्रकारों पर आपराधिक मामले दर्ज कर सकती है। इसका विरोध होना जरूरी है।