अदानी को खदान देने का विरोध कर रहे आदिवासियों के पक्ष में आईं मेधा पाटकर, कही ये बात... | Medha patkar will came to support tribe of bastar

अदानी को खदान देने का विरोध कर रहे आदिवासियों के पक्ष में आईं मेधा पाटकर, कही ये बात…

अदानी को खदान देने का विरोध कर रहे आदिवासियों के पक्ष में आईं मेधा पाटकर, कही ये बात...

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:47 PM IST, Published Date : June 9, 2019/4:13 pm IST

भिलाई: नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटकर रविवार को भिलाई सेक्टर 6 स्थित मलयालम ग्रंथालय पहुंची। उनके साथ सैकड़ों कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे। अदानी को बैलाडीला के नंदिराज पर्वत के एनएमडीसी की डिपाजिट 13 नंबर खदान देने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस सरकार ने अकेले यह फैसला किया होगा। इनको देखना पड़ेगा केरल में कम्युनिस्टों ने वेंगन प्रोजेक्ट दे दिया था, तो हमने वहां जाकर विरोध किया था। हम विरोध करने वाले के पक्ष में हैं।

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नर्मदा बचाऑ आन्दोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा की अदानी क्या है, उन्हें समझने के लिए जनता होशियार हो गई है। अदानी ऐसी बड़ी कंपनी है जो 17 साल में 40 से 50 हजार करोड़ की कमाई अकेले गुजरात में की है। ऐसी कंपनियों को और धन दौलत देना, वन अधिकार कानून को न मानने के समान है। आदिवासी भाइयों के जल जंगल जमीन को अब हम नहीं लूटने देंगे। उन्होंने कहा की अगर ये नहीं मानते हैं, तो हमें भी गिरफ्तार करो। अब बस यही बाकी रह गया है।

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दरअसल बैलाडीला के खदान नंबर-13 को 2015 में पर्यावरण विभाग की अनुमति मिली। हैरानी की बात है कि एनएमडीसी द्वारा टेंडर जारी किए गए टेंडर से ठीक पहले सितंबर 2018 में अडानी ग्रुप ने बैलाडीला आयरन और माइनिंग कंपनी गठित की। दिसंबर 2018 में कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट भी मिल गया। अब जब सरकार बदल गई तो सरकार इसे पिछली सरकार का निर्णय बता रही है। सियासी खींचतान के बीच सबके जहन में सवाल यही है कि नंदीराज पहाड़ को बचाने के लिए आदिवासियों का जो संग्राम शुरू हुआ है, वो कहां जाकर और कैसे रुकेगा।