मैराथन समीक्षा…मिशन 2023! वो वायदे, वो लक्ष्य जो कांग्रेस ने तय किया है क्या वक्त रहते पूरा हो पाएगा? 

मैराथन समीक्षा...मिशन 2023! वो वायदे, वो लक्ष्य जो कांग्रेस ने तय किया है क्या वक्त रहते पूरा हो पाएगा? 

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  • Publish Date - July 2, 2021 / 05:45 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST

रायपुर: इस वक्त भूपेश सरकार का पूरा फोकस सत्ता में आने से पहले अपने चुनावी वायदों को पूरा करने पर है। सरकार के ढाई साल पूरा होते ही प्रदेश सरकार ‘मिशन 2023’ के मोड में आ गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रतिदिन लगातार ना केवल विभागों के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं बल्कि अगले ढाई साल के लिए तय रोडमैप पर तेजी से कामों को लेकर निर्देश भी दे रहे हैं। इसके लिए जरूरी बदलावों का दौर भी जारी है। इधऱ, विपक्ष कहता है सरकार का हर वायदा अधूरा है, समीक्षा बैठकें एक दिखावा हैं। वो इसे लेकर सड़क पर संघर्ष के लिए उतरेंगे। अब सवाल ये उठता है कि क्या इस सारी कवायद से सरकार के काम में चुस्ती आ पाएगी? वो वायदे, वो लक्ष्य जो कांग्रेस ने तय किया है वो वक्त रहते पूरा हो पाएगा?

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लोगों से किए वादे कैसे तय वक्त पर पूरे हों? कैसे सरकार की तमाम योजनाएं और उनका लाभ लोगों तक पहुंचे? और कैसे वो ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ने के अपने सपने को सच कर सकें? इन दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसी कवायद में जुटे हैं। ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद जिस तरह से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिलों को करोड़ों की सौगात दी। प्रदेश में ढाई हजार करोड़ की लागत से 293 सड़कों और पुल बनाने का ऐलान किया। वनांचल में सिंचाई सुविधा बढ़ाने के लिए नदियों के किनारे बिजली लाइन बिछाने, स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के साथ 16 जिलों में जल जीवन मिशन के लिए 249 करोड़ के काम का शुभारंभ किया। बस्तर, बीजापुर ,सुकमा को 642 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की सौगात दी।

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इन सौगातों के बाद मुख्यमंत्री ने कानून-व्यवस्था दुरुस्त करने अफसरों की कमान भी बदल दी। मंत्रियों के जिलों के प्रभार भी बदले। अब मुख्यमंत्री सभी विभागों की समीक्षा कर रहे हैं, ताकि ये तय हो सके कि सरकार ने जो बदलाव के सपने देखे हैं, सरकार ने जो बदलाव की घोषणाएं की हैं, वो धरातल पर उतारकर कैसे सच किए जा सकें। विभागों की समीक्षा बैठक में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उन्हीं मुद्दों पर जोर दे रहे हैं जिन्हें लेकर कांग्रेस ने चुनाव के समय जनता से वादे किए थे। चाहे वो चिटफंड के पैसे लौटाने का मामला हो, राजनीतिक केस वापस लेने का, बस्तर टाइगर फोर्स के गठन और पुलिस कर्मियों के साप्ताहिक अवकाश। सरकार की कोशिश है कि हर स्तर पर काम पूरी मजबूती और कसावट के साथ हो। 

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इधर विपक्ष सरकार पर तंज कसते हुए कह रही है कि समीक्षा बैठकें तो महज दिखावा है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक पूछते हैं कि जिलों को जो सौगातें दी गई है उसका शिलान्यास कब किया ये बताएं ? 

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चर्चा तो ये भी है कि मंत्री और विधायक भी चुनाव के समय जनता से वादों को पूरा करने के लिए दबाव बना रहे हैं। इसीलिए प्रदेश सरकार का पूरा फोकस चुनावी वादों को पूरा करने पर है। इधर, भाजपा सरकार को हर वायदे पर फेल बताने सड़क पर उतरने का दावा करती है। बड़ा सवाल ये कि जनता के बीच वायदा पूर्ति को लेकर क्या तस्वीर उभर रही है?

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