भोपालः ’माफिया के खिलाफ मुहिम’ ये लाईन आप 2018 में सरकार बदलने से लेकर 2020 में सत्ता परिवर्तन और आज तक लगातार सुन रहे होंग,े लेकिन इस मुहिम का सबसे बड़ा खतरा उन कर्मचारियों को रहता है जो इसे जमीनी स्तर पर अंजाम देते हैं। क्योंकि बीते कुछ दिनों की घटनाओं को ही देखे तो अब माफिया हमला करने में भी नही चूक रहा। हालात ये हैं कि खुद मुख्यमंत्री को बैठक लेकर अधिकारियों को निर्देश देना पड़ रहा है, लेकिन अगर सवाल है तो उस सियासत से जो ऐसी घटनाओं पर भी रही है। सवाल है उन नेताओं से जो इतने संवेदनशील मुद्दे पर भी एक दूसरे पर आरोप लगाने में जुटे हैं।
ये तस्वीरें देवास जिले में पुंजापुरा रेंज के रतनपुर के जंगल की है जहां 52 साल के वनरक्षक मदनलाल वर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी। दरअसल वर्मा के ही मोबाइल से एक वीडियो मिला है जिससे पता चला है कि शिकारियों ने वर्मा की हत्या की, दूसरी तस्वीर ग्वालियर की है जहं शुक्रवार सुबह चंबल से रेत भरकर ला रहे माफिया ने पुलिस पर फायरिंग की, जिसमे टीआई समेत 5 पुलिसकर्मी घायल हो गए। दो अलग-अलग इलाकों की ये खबरें बताती हैं कि माफिया के हौसलें किस कर बुलंद है और वो सरकारी कर्मचारियों गोली चलाने, हत्या करने में नहीं डर रहे हैं। वैसे सरकार का इस पर अलग रुख है, चिकित्सा शिक्षा मंत्री इसे सरकार की सख्ती के तौर पर देखते हैं।
सरकारी कर्मचारियों पर माफिया के हमले का असर भोपाल में भी दिखा। कटनी रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री ने आपात बैठक बुलाई। मुख्यमंत्री आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए, इसके अलावा उन्होंने कहा कि वन विभाग के कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित होना चाहिए। साथ ही गृह, वन, और राजस्व विभाग को संयुक्त प्रयास करने के निर्देश भी दिए गए। बैठक में एक बार फिर मुख्यमंत्री ने दोहराया कि अवैध उत्खनन करने वाले माफिया को किसी हालत में नहीं छोड़ा जाए। देवास में हमले में मारे गए वनरक्षक को शहीद के बराबरी का दर्ज देने का फैसला भी लिया गया। मुख्यमंत्री अपनी तरफ से कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं लेकिन सियासत कहां रुकने वाली है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जहां ट्वीट कर राज्य सरकार को घेरा, तो वहीं दिग्विजय सिंह ने जुबानी हमला किया।
रेत माफिया के हमले करने का सिलसिला काफी पुराना है। साल 2012 में मुरैना में आईपीएस नरेंद्र कुमार पर रेत माफिया ने ट्रैक्टर चढ़ाकर उनकी हत्या कर दी थी उस वक्त भी माफिया से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई की बातें हुई थी लेकिन कई साल बीत गए नहीं बदले तो हालात।