रायपुर। बैलाडीला में खनन का विरोध कर रहे किरन्दुल संघर्ष समिति ने राजधानी रायपुर में सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात की। किरन्दुल संघर्ष समिति ने सीएम से मिलकर बताया कि बैलाडीला महज़ पहाड़ नहीं । बैलाडीला बस्तर के आदिवासी समुदाय का मात्र पेन ठाना पुरखा पेन यानि देवताओं का स्थल है । समिति के सदस्यों ने बैलाडीला के पहाड़ को पेड़, वनस्पति जैव विविधता उनकी सम्पूर्ण अस्तित्व की पहचान आन बान शान के साथ उनके जेहन में रची बसी हुई जान बताया है। समिति के सदस्यों ने बताया कि 84 गांव बस्तर के देवस्थल पहाड़ी में हैं।
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किरन्दुल संघर्ष समिति के सदस्यों ने बताया कि साल 2014 में पिटोड़ मेटा के नाम के डिपाजिट 13 नम्बर पहाड पर लोह अयस्क के खुदाई के लिए एक फर्जी ग्राम सभा कर अनुमति दी गई थी। यहां ग्राम सभा असल में हुई ही नहीं थी। मात्र 104 लोगों की मौजूदगी में ग्राम सभा के प्रस्ताव में ग्रामीणों के हस्ताक्षर कराए गए हैं, जबकि उस समय ग्रामीण जब साक्षर ही नहीं थे । फर्जी ग्रामसभा कराने वाले सचिव अब फरार हैं ।
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किरन्दुल संघर्ष समिति के सदस्यों ने ये भी बताया कि मुख्यमंत्री ने तत्काल वन कटाई पर रोक लगाने, अवैध वन कटाई और फर्जी ग्राम सभा की जांच कराने तथा परियोजना से संबंधित कार्यों पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं । समिति के सदस्यों को मुख्यमंत्री पर भरोसा है। समिति के सदस्यों ने एक बार फिर ये स्पष्ट किया है कि NMDC और अडानी वो किसी को पहाड़ खोदने नहीं देंगे।
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बता दें कि छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग अंतर्गत दन्तेवाड़ा ज़िला के किरन्दुल में 200 गांवों के हजारों आदिवासी पहाड़ बचाने के लिए अपने स्तर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते दिनों आदिवासी अपने साथ राशन-पानी लेकर रतजगा करते अपने पारंपरिक वाद्य यंत्रों में थिरकते अपने पहाड़ में लौह खनन रोकने को अडिग होकर किरन्दुल एनएमडीसी मुख्यालय के सामने बैठे हुए थे।
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