भोपाल: हाईकोर्ट द्वारा जूडा के हड़ताल को अवैध करार देने के बाद प्रदेश के 3000 जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे मध्यप्रदेश के जूनियर डॉक्टर और सरकार आमने सामने आ गए हैं। वहीं, जूनियर डॉक्टरों के इस्तीफे के बाद अब सरकार सख्त रवैया अपनाया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जूडा को नियम याद दिलाया है।
नियमों के अनुसार पीजी के स्टूडेंट इस्तीफा देते है तो उन्हें भरना जुर्माना होगा। इस्तीफा देने पर जूनियर 10 और 30 लाख का जुर्माना देना होगा। नियमों के अनुसार 2018-19 में एडमिशन लेने वाले स्टेडेंट्स को 10 लाख का जुर्माना देना होगा और 2020 में एडमिशन वाले मेडिकल स्टूडेंट्स को 30 लाख का जुर्माना देना होगा।
भोपाल में हुई जूडा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामूहिक इस्तीफे का ऐलान किया गया। इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत प्रदेश के सभी 3 हजार जूनियर डॉक्टरों ने सामूहित इस्तीफे का ऐलान किया है। जूनियर डॉक्टरों का आरोप है कि सरकार हमने बात नहीं कर रही ना ही हमारी बात मान रही है। ऐसे में हमारे पास इस्तीफे के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है।
इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना संकटकाल में स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग पर हड़ताल करना ब्लैकमेलिंग के समान है। हाईकोर्ट ने एक और अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि भले जूनियर डॉक्टर्स ने अपनी शपथ भुला दी हो लेकिन ज्यूडीशरी ने अपनी शपथ नहीं भुलाई है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि जूनियर डॉक्टर्स 24 घंटे के भीतर अपने काम पर लौटें। साथ ही राज्य सरकार को भी आदेश दिया है कि अगर जूनियर डॉक्टर्स अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं करते हैं तो वो सख्त कार्रवाई करें।