बलरामपुर । आधुनिक युग में पढ़ लिखकर छात्र या तो डॉक्टर बनना चाहते हैं या फिर इंजीनियर, शायद ही कोई युवा किसान बनना चाहता है, या इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहता हैं, लेकिन आज हम आपको बलरामपुर की ऐसी एक खबर बताने जा रहे हैं, जिसमे एक छात्र ने पहाड़ों पर मिलने वाली मिर्च को अपना कैरियर बना लिया है। इस छात्र की मेहनत रंग लाई है, और अब उसका सिलेक्शन आईआईटी कानपुर में हो गया है।
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वाड्रफनगर के छोटे से गांव मेघुलि के रहने वाले रामलाल लहरे ने स्कूल में टॉपर होने के बाद भी डॉक्टर, इंजीनियर बनने की चाहत छोड़ कृषि में अपना ध्यान लगाया और उसने जाइया मिर्च को लेकर शोध शुरू करते हुए पढ़ाई की, इस दौरान रामलाल लहरे को कई अवार्ड मिले और अब उसका चयन आईआईटी कानपुर में हो गया है। रामलाल जिले में ही इस मिर्च का एक बड़े लार्ज स्केल में उत्पादन कर रहे हैं। बता दें कि पहाड़ों पर मिलने वाली छोटी किस्म की जाइया मिर्च, काफी तीखी होती है।
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छात्र रामलाल लहरे ने बताया कि रिसर्च के दौरान ही जाइए मिर्ची को सैंपलिंग के लिए भाभा एटॉमिक सेंटर भेजा गया था और उस सैंपलिंग में यह मिर्ची पास हो गई है। इसके बाद अब अब इस मिर्च का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जाएगा, रामलाल लहरे ने बताया कि पूरे देश के 10 स्टूडेंट्स का चयन एआईआर के लिए होता है, जिसमें वो पहले छात्र हैं, जिनका चयन इसके लिए हुआ है । रामलाल अब आईआईटी कानपुर में फेलोशिप के तहत काम करते हुए रिसर्च और इस मिर्च का उत्पादन करेंगे ।