भोपाल: मध्यप्रदेश में हर गुजरते दिन के साथ बढ़ते कोरोना संक्रमण ने सरकारी सिस्टम की सांसें फुला दी है। पिछले 24 घंटे में 6 हजार 489 संक्रमित मिले हैं, मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। राजधानी में एक ओर कोरोना मृतकों की जलती चिताएं हैं, तो दूसरी तरफ कोरोना का मेडिकल बुलेटिन। मेडिकल बुलेटिन में पिछले 5 दिनों में भोपाल में रोजाना 1 मौत बताई जा रही है, लेकिन रोजाना औसतन 30 से 35 चिताएं जल रहीं हैं। आप खुद ही गिनती करिए। ये आंकड़े सिर्फ रविवार की हैं। 20 से ज्यादा चिताएं जल रहीं हैं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ 1 मौत दर्ज है। यहीं से सवाल उठता है कि भला ये कैसे मुमकिन है।
भोपाल में पिछले पांच दिनों में अकेले भदभदा विश्राम घाट में 153 कोरोना मृतकों की चिताएं जलाई गईं। वहीं, कब्रिस्तान में पिछले 5 दिनों में 30 कोविड मृतकों को सुपुर्दे खाक किया गया है। यानि भोपाल में 180 से ज्यादा मौतें हुईं हैं। लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ 5 मौतों का जिक्र है। इंदौर में औसतन हर रोज शहर में 40 मौतें हो रहीं हैं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में पिछले एक हफ्ते में सिर्फ 28 मौतों का जिक्र है। इंदौर में भी 250 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मृतकों को शमशान घाट में जलाया और सुपुर्दे खाक किया गया है। जबलपुर में पिछले 7 दिनों में 98 कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ 15 मौत बताई जा रही हैं। ग्वालियर में सरकारी रिकार्ड में कोरोना मरीजों की मौतों का आंकड़ा 14 है, लेकिन हफ्तेभर में 80 से ज्यादा शव शमशान घाट में जलाए गए। यानि औसतन 12-15 मौतें ग्वालियर में कोरोना मरीजों की मौत हो रही है।
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वहीं, जब इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान से पूछा गया तो उन्होंने भी माना कि शमशान घाट के आंकड़े और सरकारी आंकड़ों में भ्रम की स्थिति है। जबकि प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा कि आंकड़ों में गडबड़ियों को दुरुस्त कर लिया जाएगा।
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केवल मौत के आकंड़ों में ही नहीं बल्कि सरकारी वेबसाइट पर प्रदेश में बिस्तरों की कुल संख्या और उपलब्धता को लेकर दिख रहे आंकड़ों में भी बड़ा फर्जीवाड़ा है। मध्यप्रदेश के चार बड़े शहरों में बिस्तरों की संख्या की सच्चाई बताते हैं। भोपाल में ऑक्सीजन बेड की कैपेसिटी 3428 है, वेबसाइट पर 1330 बेड उपलब्ध बताए जा रहे हैं। जबकि IBC24 की पड़ताल में सारे अस्पताल पैक मिले। इंदौर में 8538 बेड की संख्या हैं, जिनमें 7363 बेड भर चुके हैं और 1175 बिस्तर खाली हैं। लेकिन कॉमन मैन को ये खाली बिस्तर भी मिलना मुश्किल हो रहा है। ग्वालियर में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में 2000 बिस्तर की कैपेसिटी जबकि 1230 बेड भरे हैं, ये सरकारी रिकॉर्ड है। रिपोर्टर ने जब अस्पतालों में फोन करना शुरु किया तो सरकार के सारे दावे फेल पाए गए। जबलपुर में ऑक्सीजन बेड की कैपेसिटी 1602 है, 700 से ज्यादा भरे हुए हैं। हाईफ्लो वेंटिलेटर वाले बेड के लिए जब रिपोर्टर ने बात की तो तकरीबन हर अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिए। इस स्थिति पर कांग्रेस ही नहीं बल्कि बीजेपी नेता भी खासे नाराज नजर आए। सीनियर विधायक अजय विश्नोई ने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में प्रशासनिक हीलाहवाली पर नाराजगी जताई तो कांग्रेस ने विश्नोई के बहाने बीजेपी सरकार को जमकर घेरा।
इन तस्वीरों से साफ जाहिर है कि मध्यप्रदेश सरकार कोविड काल में व्यवस्था बनाने की भरपूर कोशिश कर रही है, लेकिन हालात संभालने में प्रशासन के भी हाथ-पांव फूलने लगे हैं। एमपी के कई शहरों में हालात कम्युनिटी स्प्रेडिंग तक पहुंच गए हैं। जरूरत है आंकड़ों को छिपाने के बजाए, वास्तविकता में इंतजामों को दावों के अनुरूप चुस्त-दुरुस्त करने की।
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