भोपाल : प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ( Inder Singh Parmar ) का शर्मनाक बयान सामने आया है। निजी स्कूलों की मनमानी तरीके से फीस वसूली के मुद्दे पर मंत्री जी इतने भड़के कि उन्होंने पालकों से कह दिया कि ..जो करना है करो..आंदोलन करो…मरना है तो मर जाओ..। इस बयान पर जहां पालक महासंघ ने शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग की, तो कांग्रेस ने भी आड़े हाथों लिया। लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने के नाते ऐसा बर्ताव कहां तक जायज है?
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पालक –हमारी विशेष मांग ये है कि 1 अप्रैल से स्कूल ऑनलाइन फीस वसूल रहे है, हम क्या करें सर,,हम यहां के नागरिक है मंत्री- आंदोलन करो जाकर पालक- ये आप गलत कह रहे है सर, मतलब हम लोग मरें सर मंत्री- हा मरो जाकर,जो करना है करो पालक- मंत्री साहब का कहना आप मरो,कुछ भी करो हम कुछ नहीं करेंगे।
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ये मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार हैं, जो पालक महासंघ को साफ साफ कह रहे हैं कि मरो और करना है जो करो। दरअसल ये बयान उस वक्त का है जब निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर पालक महासंघ के करीब 50 लोग मंत्री जी से मिलने पहुंचे। मंत्री जी एक घंटे इंतजार करवाने के बाद बाहर आए और जब वो गाड़ी में बैठकर कैबिनेट बैठक के लिए रवाना हुए तो लोगों ने उन्हें ज्ञापन दिया और अपनी बात कही बस मंत्री जी इतने में ही भड़क गए।
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पालक महासंघ की मांग है कि ट्यूशन फीस के नाम पर हो रही मनमानी रोकी जाए। सरकार हस्तक्षेप करके हाईकोर्ट उस आदेश का पालन करवाए जिसमें सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का कहा गया है। फीस जमा करवाने के लिए अभिभावकों पर दबाव न बनाया जाए।
दरअसल कोरोना कॉल में स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई तो करवा रहे है लेकिन दूसरी गतिविधियां बंद हैं और हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस ले सकते हैं। ऐसे में निजी स्कूल जो अलग अलग गतिविधियों का शुल्क लेते थे उसे उन्होंने ट्यूशन फीस में जोड़ दिया है। ऐसे में आम आदमी को कोरोना काल में भी सामान्य दिनों की तरह पैसा चुकाना पड़ रहा है। ऐसे में मंत्री जी के व्यवहार ने लोगों को और भड़का दिया है।
शिक्षा मंत्री के इस बर्ताव से सियासत भी गर्म हो गई। कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने शिक्षा मंत्री का पुतला जलाकर प्रदर्शन किया तो कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता ने शिक्षा मंत्री को हटाने की मांग कर दी। बीजेपी ने उल्टा मंत्री इंदर सिंह परमार का बचाव करने की कोशिश की है। पार्टी के प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया ने सफाई देते हुए कहा कि मंत्री जी का मक्सद अभिभावकों को आहत करने का नहीं था।
जाहिर है मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री की बेपरवाही सरकार पर ज़रुर भारी पड़ेगी। जब खुद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने ये मानकर तमाम राहते दी हैं कि कोरोना संकट में आम आदमी की आर्थिक तौर पर कमर टूटी है। तब स्कूल शिक्षा मंत्री का ये बयान आना वाकई हैरान करने वाला है। कांग्रेस अब इस मुद्दे को हवा देने की तैयारी मे है। बीजेपी चुप है क्योंकि मंत्री के बयान का जवाब उसके पास फिलहाल नहीं है।