रायपुर: सख्त लॉकडाउन के दौरान रायपुर के क्वींस क्लब में आयोजित नशे की पार्टी मामले में हाउसिंग बोर्ड ने कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं। हाउसिंग बोर्ड के मुताबिक संचालक हरबक्श सिंह बत्रा की ओर से मिले जवाब को बोर्ड के नियम और बीओटी एग्रीमेंट की शर्तों के आधार पर समीक्षा की जाएगी। अगर नियम शर्तों का उल्लंघन पाया गया, तो बत्रा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। एक ओर जहां हरबक्श सिंह बत्रा पर कार्रवाई करने के लिए हाउसिंग बोर्ड कमर कस चुका है, तो वहीं दूसरी ओर क्लब के संचालक नमित जैन पर कोई कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि पुलिस अब तक क्लब संचालक नमित जैन को गिरफ्तार क्यों नहीं की है। जबकि क्वींस का मैनेजर संभव पारख ड्रग मामले में गिरफ्तार हो चुका है। इसके अलावा क्वींस क्लब में संचालित बार का लाइसेंस रद्द किया गया है, ना तो अब तक क्लब की CCTV फुटेज ही पुलिस ने खंगाली है। जाहिर है ये सवाल हैरान करने वाला है। कहीं रसूखदारों की पहुंच और ताकत पुलिस पर भारी तो नहीं पड़ रही है?
27 सितंबर की रात रायपुर के क्वींस क्लब में हुई शराब पार्टी और गोलीकांड की घटना को करीब एक महीना पूरा होने जा रहा है। लेकिन अब तक पुलिस कई रसूखदार लोगों तक पहुंचने में नाकाम साबित हुई है। घटना के बाद पुलिस की एफआईआर में नमित जैन का नाम बतौर संचालक दर्ज है। लेकिन करीब महीने भर बाद भी ना तो उसकी गिरफ्तारी हुई और ना ही उससे कोई पूछताछ की गई। पुलिस उसे फरार भी नहीं बता रही है। इसी मामले में नमित जैन के परिवार के दो अन्य आरोपी सदस्य चंपालाल जैन और नेहा जैन को भी ऐसे ही छूट दी गई थी, जिसका फायदा उठाकर दोनों आरोपी ने कोर्ट से अग्रीम जमानत ले लिया। उसके बाद पुलिस उसके घर गिरफ्तारी की खानापूर्ती करने पहुंची थी। सवाल उठ रहे हैं कि कहीं पुलिस नमित जैन के मामले में भी यही रवैया तो नहीं अख्तियार कर चुकी है। हालांकि पुलिस जल्द गिरफ्तारी की बात कह रही है। पुलिस की कार्रवाई को लेकर एक बड़ा सवाल इमिनेंट इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के संचालक हरबक्श सिंह बत्रा और उसके परिवार के डायरेक्टर सदस्यों को लेकर भी उठ रहा है।
दरअसल, घटना के बाद ही पुलिस ने हरबक्श सिंह बत्रा को थाने में बुलाकर पूछताछ की थी. लेकिन जैन और सिंघानिया परिवार के साथ हुई डील को आगे कर बत्रा पुलिस की कार्रवाई से बच निकला। लेकिन बाद में हाउसिंग बोर्ड को लिखित जवाब में स्वीकार किया कि क्लब का संचालन अभी वो खुद कर रहा है। इसके बाद बत्रा ने कंपनी के 8 डायरेक्टर के नामों की लिस्ट भी पुलिस की सौंपी। जिसमें उसके खुद के डायरेक्टर होने की बात दर्ज है। हाउसिंग बोर्ड की तरफ से इस संबंध में एक जानकारी पुलिस को दे दी गई है।
इन तमाम जानकारी के आधार पर पुलिस को बत्रा और उसके परिवार के बाकी डायरेक्टर सदस्यों पर एफआईआर दर्ज कर लेना था. लेकिन पुलिस कार्रवाई ना करने का बहाना ढूंढ रही है। पुलिस ने अब इसी बात को वेरिफाई करने के लिए दिल्ली स्थित मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स अफेयर्स को पत्र लिखा है। आरोप है कि ये सब कुछ बत्रा को बचाने के लिए किया जा रहा है। लेकिन पुलिस इसे जांच की समान्य प्रक्रिया बता रही है।
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रायपुर में ड्रग्स के नेटवर्क को उजागर करने और उसे तोड़ने में शानदार काम करने वाली रायपुर पुलिस क्वींस क्लब मामले में आखिर क्यों मजबूर दिख रही है। ये सवाल हैरान करने वाला है। कहीं रसूखदारों की पहुंच और ताकत पुलिस पर भारी तो नहीं पड़ रही है। और अगर ऐसा नहीं है तो पुलिस को बचे रसूखदारों पर भी कार्रवाई तुरंत करनी चाहिए।
वहीं, सिविल लाइन सीएसपी नसर सिद्दकी ने मामले को लेकर कहा है कि इस केस की विवेचना जारी है। एक दो आरोपी गिरफ्तार होना बाकी है, उन्हें भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जांच की प्रक्रिया के तहत आरओसी जानने के लिए दिल्ली पत्र लिखा गया है। इससे कंपनी के रजिस्ट्रेशन से लेकर नाम पता, डायरेक्टर की जानकारी हासिल होगी। जानकारी मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।