अस्पताल या मैदान-ए-जंग?

अस्पताल या मैदान-ए-जंग?

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  • Publish Date - April 26, 2021 / 06:19 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:23 PM IST

भोपालः प्रदेश में कोरोना ने हालात बेकाबू कर दिए हैं। मरीज इलाज के लिए दर दर भटक रहे हैं, कभी बिस्तर, कभी इंजेक्शन तो कभी ऑक्सीजन के लिए। सरकार कोरोना की दूसरी लहर का अंदाजा लगाने में नाकाम रही है। अस्पतालों मे संसाधन जुटाने भी सरकार की कोई बहुत बड़ी कोशिश नजर नहीं आई, लेकिन इस बीच मरीज के परिजनों ने जरुर अपना सब्र खो दिया है। कोविड वार्ड में होने वाली मौतों से दुखी परिजनों का गुस्सा अब डॉक्टरों पर टूटने लगा है। इंदौर, मुरैना, भिंड, विदिशा, उज्जैन में पिछले दो दिनों में इन घटनाओं ने डॉक्टरों के हौसले को तोड़ने का काम किया है। सरकार डॉक्टरों को भरोसा दे रही है, लेकिन अगर ऐसी घटनाओं की पुनवावृति जारी रही तो कोरोना के खिलाफ लड़ाई जरूर कमजोर होगी।

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प्रदेश के 5 अलग-अलग शहरों की ये तस्वीरें बताती है कि कोरोना योद्धाओं को लेकर आखिर किस तरह का व्यवहार हो रहा है। कहीं डॉक्टर्स को पीटा जा रहा है तो कही पुलिसकर्मियों से हाथापाई हो रही है। जाहिर तौर पर ऐसे वक्त में जब पूर प्रदेश संक्रमण की सुनामी से जूझ रहा है। कोरोना वॉरियर्स से जनता का व्यवहार न सिर्फ उनका हौसला कमजोर करता है बल्कि अराजकता के हालात भी पैदा कर रहा है और ऐसे में जरुरत है कि कोरोना काल में मोर्चे पर डटे पुलिसकर्मी और डॉक्टर्स की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

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वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, इंजेक्शन से लेकर तमाम सुविधाओं की कमी के कारण हर मरीज को सही इलाज नहीं मिल पा रह है। ये भी सहज भाव है जब अपना कोई करीबी जाता है तो लोग डॉक्टर्स से नाराज होते हैं। लेकिन बात मारपीट और हाथपाई तक जाने को सही नहीं ठहराया जा सकता। वैसे प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में हो रही इस तरह की घटनाओं पर सियासत भी शुरु हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि यदि सरकार सही इंतजाम करे तो ऐसे हालात ही पैदा न हो।

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मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमित का आंकड़ा एक लाख के पार हो चुका है। अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या भी तेजी से बढती जा रही है लेकिन इंतजाम नाकाफी है जिसका नतीजा है रोज सामने आने वाली ये घटनाएं हैं। ऐसे में जरुरत है कि मरीज के परिजनों को संकट काल मे निस्वार्थ भाव से मरीजों की सेवा कर रहे डॉक्टर्स की परेशानियों को भी समझे।

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