शिक्षक या शैतान, मासूम छात्रा से घिनौनी हरकत करने वाले हेड मास्टर को उम्र कैद की सजा

शिक्षक या शैतान, मासूम छात्रा से घिनौनी हरकत करने वाले हेड मास्टर को उम्र कैद की सजा

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  • Publish Date - November 24, 2019 / 02:52 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

दुर्ग, छत्तीसगढ़। स्कूल की मासूम छात्रा के साथ हैवानियत करने वाले हेड मास्टर को उम्र कैद की सजा सुनाई है।आरोपी लगभग एक साल से 8 वर्ष की मासूम के साथ ये हरकत कर रहा था। फास्ट ट्रैक कोर्ट न्यायाधीश मधु तिवारी ने यह फैसला दिया है।

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गुरु की गरिमा को कलंकित करने वाला यह मामला रेलवे पुलिस ने अदालत के समक्ष पेश किया था। कक्षा दूसरी की छात्रा के साथ स्कूल का ही हेड मास्टर फूलचंद धोबी (62 वर्ष) यह हरकत कर रहा था। हेडमास्टर ने इस हरकत को मासूम के साथ करने की शुरुआत जुलाई 2015 में की थी। लगभग एक साल बाद मासूम ने इसकी जानकारी अक्टूबर 2016 में परिजनों को दी थी, जिसके बाद रेलवे पुलिस में इसकी शिकायत की गई थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपी हेड मास्टर के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 6 तथा दफा 376 (2)(च) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष पेश किया था।

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हेडमास्टर की हैवानियत के चलते मासूम प्राय: उल्टी करने लगी थी और स्कूल जाने से भी कतराने लगी थी। मां ने जब इसके बारे में पूछताछ किया तब जाकर इसका खुलासा हुआ। मासूम ने बताया कि जब वह दूसरी कक्षा में थी तो गेम पीरियड के दौरान हेड मास्टर फूलचंद धोबी ने यह गंदी हरकत की थी। इसके बाद वह हमेशा उसके साथ यह हरकत करने लगा था। इस घिनौनी हरकत के कारण मासूम को उल्टी हो जाती थी। इसके अलावा मासूम खाना खाने के बाद भी उल्टियां करने लगी थी। डॉक्टर को दिखाने के बाद भी किसी प्रकार का लाभ नहीं मिलने पर मासूम से मां ने बहला फुसला कर पूछताछ की तो यह जानकारी सामने आई।

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मासूम ने अदालत को बताया कि हेड मास्टर की इस हरकत का विरोध किए जाने पर वह इसकी जानकारी स्कूल के बच्चों को दे देने की बात करता था। वह बालिका को धमकाता था कि इसकी जानकारी मिलने पर बच्चें उसे गंदी लड़की कहकर चिढ़ाएगें और उसके साथ नहीं खेलेंगे। प्रकरण पर फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश मधु तिवारी ने कहा है कि अभियुक्त का कृत्य न केवल राज्य के प्रति अपराध है, बल्कि समाज के प्रति भी अपराध है। अभियुक्त ने प्रधान पाठक के सम्मानित पद पर रहते हुए 7-8 वर्ष की बालिका के साथ किया गया कृत्य घृणित व अमर्यादित है। यह मानवता के विपरीत है। अपराध की प्रकृति को देखते हुए अभियुक्त को परीविक्षा अधिनियम के उदार प्रावधानों का लाभ देना न्यायासंगत नहीं होगा। 

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महाराष्ट्र की महाभारत

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