रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को सबसे ज्यादा सम्मान बाबा गुरू घासीदास ने दिया है। उन्होंने अपने संदेश जन सामान्य की भाषा में इसलिए दिया कि सभी लोग आसानी से समझ सके। उनके मनखे-मनखे एक समान का संदेश पूरी मानवता के लिए है। उनके संदेश से समाज में समानता, समरसता और भाईचारा का वातावरण बना। उनका संदेश आज भी प्रासंगिक हैं। मुख्यमंत्री आज यहां गुरू घासीदास जयंती समारोह और राष्ट्रीय संगोष्ठि को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन गुरू घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा किया गया था।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा गुरू घासीदास ने जीवन का लक्ष्य सत्य की प्राप्ति बताया। सत्य के साथ अहिंसा रहती है और जहां अहिंसा है वहां प्रेम और भाईचारा है। सत्य सब जगह है, कोई भी काल हो उसकी महत्ता कम नहीं होती। गुरू बाबा ने जिस समय अपना संदेश दिया उस परिस्थिति में सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ बात करने की कल्पना नहीं की जा सकती थी। उन्होंने सभी प्रकार की कुरीतियों का विरोध किया और नारी को सम्मान दिलाने का काम किया। यहां तक कि प्राणीमात्र पर दया करने पर जोर दिया। उन्होंने सत्य के प्रतीक के रूप में जैतखाम की स्थापना की, जिसके दर्शन से सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
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गुरू घासीदास जयंती समारोह में गुरू घासीदास का सामाजिक समरसता में योगदान विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठि का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अनेक साहित्यकारों, विद्वानों और सामाजिक क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए समाज के लोगों को अलंकरण सम्मान में शॉल, फल एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।
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इस अवसर पर उन्होंने गुरू घासीदास के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारिक विभिन्न पुस्तकों और बाबाजी 36 वेबसाइट का विमोचन भी किया। समारोह में मुख्यमंत्री ने नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया को उनके जन्म दिन पर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी। इस मौके पर विधायक सत्यनाराण शर्मा सहित देश के विभिन्न स्थानों से आए साहित्यकार और वक्ता, गुरू घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के प्रदेश अध्यक्ष के.पी. खाण्डे, जे.आर. सोनी सहित अकादमी के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में सामाजिक बंधु उपस्थित थे।
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