अंबिकापुर: ट्रांसपोर्ट नगर बसना दूर की कौड़ी दिखाई दे रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि नगर निगम ने नगर बसाने के लिए 12 साल में लाखों खर्च किए लेकिन उस जमीन पर जो ट्रांसपोर्ट नगर के लिए दी ही नहीं गई थी। जिला प्रशासन के संज्ञान लेने के बाद अब ये मामला सियासत का मुद्दा भी बन गया है।
अंबिकापुर के ट्रांसपोटर्स को व्यवस्थित करने सरकार की तरफ से ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की योजना करीब 12 साल पहले अम्बिकापुर नगर निगम में शुरू की गई। इसके लिए पहले बनारस रोड की तरफ लाखों खर्च कर बसाने की कोशिश की गई। लेकिन बाद में निगम को पता चला कि वो जमीन फारेस्ट की है, जिसके कारण इसे बिलासपुर चौक के आगे शिफ्ट किया गया। यहां करीब 3 एकड़ में निगम ने करीब 60 लाख रुपये खर्च करके गुमटियां, ट्रासंफार्मर, एप्रोच सड़क का निर्माण करा दिया। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि यह जमीन ट्रांसपोर्ट नगर के लिए नहीं बल्कि सीजीएमएससी को आबंटित की गई है। ऐसे में कलेक्टर ने खुद संज्ञान लेते हुए यहां न सिर्फ अवैध कब्जा हटाया बल्कि निगम को 56 लाख रुपए शासन के खाते में जमा करने के निर्देश भी दिए है।
नगर निगम के कारनामे को लेकर विपक्ष ने सत्तापक्ष पर जमकर हमला बोला है। विपक्ष का साफ तौर पर आरोप है कि ट्रांसपोर्ट नगर को लेकर निगम के महापौर और अधिकारी गंभीर नहीं, तभी तो न सिर्फ दूसरे की जमीन पर निगम ने निर्माण करा दिया। बल्कि उसे अब तक अपने नाम पर आबंटित भी नही करा सकी।
इधर महापौर भी मान रहे है कि गलती से जमीन सीजीएमएससी को आबंटित कर दी गई थी मगर वो कैंसिल कर दी गई है। खैर, महापौर की यह भी दलील है कि जमीन को निगम के खाते में दर्ज कराने की प्रकिया जल्द पूरी कर ली जाएगी।
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पहले दूसरे विभाग को आबंटित जमीन पर लाखों खर्च और फिर एक बार वही गलती। मतलब साफ है कि सरकार की महत्वपूर्ण योजना को लेकर अम्बिकापुर नगर निगम गंभीर नजर नहीं आ रहा। ऐसे में देखना होगा कि अम्बिकापुर नगर निगम आखिर कब तक ट्रांसपोर्ट नगर को बसा पाता है?