Girls का देसी बैंड! कबीर के दोहे, छत्तीसगढ़ी और बुंदेलखंडी लोकगीतों को पिरोतें हैं अपने देसी अंदाज के धुनों में
Girls का देसी बैंड! कबीर के दोहे, छत्तीसगढ़ी और बुंदेलखंडी लोकगीतों को पिरोतें हैं अपने देसी अंदाज के धुनों में
जबलपुर: कोरोना संकट काल और मौसमी बीमारियों ने ऐसा हाहाकार मचाया कि लोग हंसना ही भूल गए। लेकिन कोरोना संकट के बीच हर वर्ग प्रभावित हुआ और संगीत की कला तो मानों समाज से गायब सी हो गई। इसका सबसे बुरा असर कलाकारों पर पड़ा, जहां कला से जुड़ी गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो गई। वहीं, कलाकारों की जिंदगी आर्थिक संकट से जूझ रही है। इस सबके के बीच संस्कारधानी की नारी शक्ति नए सवेरे के रूप में उभर कर सामने आई है।
दरअसल शहर की कलाप्रेमी महिलाओं ने एक देसी बैंड बनाया है जो लोकगीत, दोहे और अन्य स्थानीय गीतों को आधुनिक संगीत की जुगलबंदी से नया सुर सजा रही हैं। श्रीजानकी नामक यह बैंड नाट्यलोक संस्था के कलाकारों ने बनाया है, इस बैंड का नाम श्रीजानकी बैंड रखा गया है। इसकी खास बात यह है कि इसमें केवल लड़कियां ही हैं। इन्ही सब में एक लड़की अंजली सोनी भी है, जो वर्ष 2013 में बीमार हो गई थी। डॉक्टरों की लापरवाही के चलते अंजलि की आंखों की रौशनी चली गई, अब वह देख नहीं पाती। लेकिन इस बैंड के सहारे उसे नई जिंदगी मिली है।
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बैंड की दूसरी खासियत है कि इसने फिल्मी धुनों की बजाए कबीर और लोकगीत को अपनाया बैंड में अन्य लड़कियां भी गिटार, हारमोनियम, ढोलक, कांगो, ढपली जैसे वाद्य यंत्र बजाने में पारंगत हैं। इससे अत्यंत मधूर और सुरीली धुन निकलती है। इन कलाकारों ने जिस तरीके का प्रयोग किया है, वैसा प्रयोग शायद ही किसी ने किया हो। सभी कबीर के दोहे, छत्तीसगढ़ी और बुंदेलखंडी लोक गीतों को अपनी धुन में पिरोते है, शहर के इस श्रीजानकी बैंड की प्रसिद्धि अब धीरे-धीरे बढ़ रही है। प्रदेश के संस्कृति विभाग के कई आयोजनों में बैंड अपनी धूम मचा चुका है इसके अलावा अब सदस्यों के पास आस पास के जिलों से भी कार्यक्रम के लिए ऑफर मिल रहे हैं।

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