मौत, मातम, त्रासदी…बेतुके बोल, उठते सवाल! क्या वाकई विजयवर्गीय को मुरैना में 24 लोगों की मौत का अहसास नहीं?

मौत, मातम, त्रासदी...बेतुके बोल, उठते सवाल! क्या वाकई विजयवर्गीय को मुरैना में 24 लोगों की मौत का अहसास नहीं?

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  • Publish Date - January 14, 2021 / 06:03 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:53 PM IST

भोपालः मामला महिलाओं से जुड़ा हो या जहरीली शराब से मौत का, सियासत के गलियारों में इतने गंभीर मुद्दों को भी हल्के बयानों ने बेवजह की बहस में डालकर बेहद हल्का बना दिया। मुरैना में जहरीली शराब पीने से बीते 3 दिनों में 24 मौत हो चुकी हैं, गांव में मातम और प्रशासनिक स्तर पर हड़कंप मचा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अवैध शराब फैक्ट्रियों पर छापा पड़ रहा है, तो फिर ऐसे गंभीर मुद्दे पर इतना हल्का बयान क्यों? क्या ये जानबूझकर मुद्दे को फीका करने की सियासी साजिश है या फिर सुर्खियों में बने रहने का शिगूफा?

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पार्षद, महापौर, विधायक, मंत्री से लेकर पार्टी महासचिव तक का सफर पूरा करने वाले कैलाश विजयवर्गीय को सुना आपने जो बड़े ही सीधे अंदाज में मुरैना में जहरीली शराब की वजह बता रहे हैं। शायद विजयवर्गीय को मुरैना में हुई 24 मौत की वजह अधिकारी नहीं बल्कि कोरोना काल में कुछ लोगों के जहरीली शराब बनाने की आदत दिखती है। सवाल है कि क्या वाकई विजयवर्गीय को मुरैना में दो दर्जन मौत का अहसास नहीं है? क्या गुजरते दिनों के साथ मामले को हल्का करने की कोशिश की जा रही है? क्या बयान देने के पहले वाकई विजयवर्गीय ने अधिकारियों से चर्चा की थी? क्या अधिकारियों ने विजयवर्गीय को गलत फीडबैक दिया? वैसे सज्जन पर घिरी कांग्रेस के लिए विजयवर्गीय का बयान संजीवनी की तरह आया है।

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सियासत की बात से पहले मुरैना का हाल भी जान लीजिए, जहां मौत का आंकड़ा 21 से बढ़कर 24 हो गया। एसीएस राजेश राजौरा की अगुआई में तीन सदस्यीय एसआईटी ने न सिर्फ अधिकारियों के साथ बैठक की बल्कि मानपुर गांव का दौरा और बालचीनी थाने में भी पड़ताल की सोमवार से शुरु हुए मौत के सिलसिले से दहशत में आए लोग अब अधिकारियों के देखकर अवैध शराब की जानकारी भी दे रहे हैं, जिसके कारण छेरा गांव में तालाब और सरसों के खेत में काफी मात्रा में जहरीली शराब और ड्रम बरामद किए।

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बात एक बार फिर सियासत की, जिस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने ताबड़तोड़ फैसले लेकर जांच शुरु की सियासी बयानों के बीच वो फिर दब गई, जिसपर बीजेपी अपनी सफाई दे रही है। वैसे ये पहला मौका नहीं है जब कैलाश विजयर्गीय के बयान पर बवाल पर हंगामा न हुआ हो। लेकिन सवाल वहीं है कि जरुरी इस मुद्दे की तह तक जाना है या फिर बयानबाजी में उलझाकर खत्म कर देना है।

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