दमोह का दंगल…क्या उपचुनाव लोधी या मलैया के करियर को पुनर्जीवित करेगा?

दमोह का दंगल...क्या उपचुनाव लोधी या मलैया के करियर को पुनर्जीवित करेगा?

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  • Publish Date - March 25, 2021 / 06:14 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:53 PM IST

भोपाल: दमोह उप चुनाव के लिए प्रचार ने धार पकड़ना शुरू कर दिया है। बीजेपी-कांग्रेस के दिग्गजों ने दमोह में डेरा जमा लिया है। कांग्रेस के मुताबिक दलबदल इस उपचुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा है, तो दूसरी तरफ भाजपा का दावा है कि विकास के नाम पर भाजपा की यहां से निश्चित जीत होगी। इसके अलावा कांग्रेस को आस है कि मलैया परिवार की नाराजगी उपचुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचाएगी। भाजपा, मलैया परिवार की नाराजगी की बात को ही खारिज करता है। यहां बड़ा सवाल ये है कि दमोह में उपचुनाव का मुद्दा क्या होगा? इलाके का विकास, मलैया परिवार की नाराजगी या दलबदल?

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पूर्व सीएम कमलनाथ की हुंकार के साथ ही दमोह उपचुनाव का शंखनाद हो गया। मध्य प्रदेश की दमोह विधानसभा सीट के लिए 17 अप्रैल को उपचुनाव होगा, जिसका नतीजा 2 मई को आएगा। कांग्रेस विधायक राहुल लोधी के इस्तीफे के बाद ये सीट खाली है। राहुल लोधी इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में है, राहुल लोधी को टिकट मिलने से जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया की नाराजगी भी सामने आई। हालांकि पार्टी ने दमोह में सियासी समीकरण को साधने भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव को जिम्मेदारी सौंपी है। गोपाल भार्गव को मलैया का करीबी माना जाता है। जबकि भूपेंद्र सिंह मलैया विरोधी माने जाते हैं। हालांकि बीजेपी मलैया परिवार की नाराजगी की खबरों का खंडन कर रही है!

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दूसरी ओर राहुल लोधी के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस ने इसे प्रतिष्ठा की सीट बना लिया है। कांग्रेस ने अजय टंडन को यहां का अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस दमोह उपचुनाव में भी गद्दार के मुद्दे को ही बड़ा मुद्दा बना रही है। इसके साथ कांग्रेस अपनी सरकार के एक साल की उपलब्धियो को लेकर भी जनता के बीच पहुंच रही है।

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दमोह में बीजेपी के राहुल लोधी और कांग्रेस के अजय टंडन ने अपना अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। इसके साथ ही बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गजों ने डेरा डालना शुरू कर दिया है। दोनों ही दलों के लिये ये प्रतिष्ठा का चुनाव है, लेकिन मलैया परिवार के लिए राजनीतिक भविष्य का चुनाव है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या दमोह उपचुनाव लोधी या मलैया के करियर को पुनर्जीवित करेगा? या कोई नया नेता अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहेगा?

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