छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य जहां ग्रामसभा के सदस्य DMF के गवर्निंग बॉडी में शामिल, CSE ने की सरकार की तारीफ

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य जहां ग्रामसभा के सदस्य DMF के गवर्निंग बॉडी में शामिल, CSE ने की सरकार की तारीफ

  •  
  • Publish Date - July 8, 2019 / 03:30 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:25 PM IST

रायपुर: डीएमफ फंड को लोकोन्मुखी बनाने के लिए देश की प्रतिष्ठित संस्था सेंटर फॉर साईंस एंड एनव्हायरनमेंट ने छत्तीसगढ़ सरकार की तारीफ की है। इस संबंध में सीएसई ने कहा है कि खनन प्रभावित लोगों को डीएमएफ की निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने एवं उनके हितों की रक्षा के लिए छत्तीसगढ़ में जिला खनिज न्यास नियम में किए गए संशोधन देश के अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल है। बता दें कि राज्य सरकार ने डीएमएफ में संशोधन कर खनन प्रभावित क्षेत्रो के ग्राम सभा सदस्यों को डीएमएफ के गवर्निंग बॉडी में शामिल करने का प्रावधान किया है।

Read More: कश्मीरी गेट के बराबर हो गया आपका पेट, कर्नाटक संकट पर कांग्रेस दल के नेता ने कसा केंद्र सरकार पर तंज

संशोधन के अनुसार खनन से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्रों की ग्राम सभा से 10 सदस्यों को डीएमएफ की शासी परिषद में शामिल किया जाएगा। अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा के कम से कम 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी से होने चाहिए। महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। संशोधन के पूर्व प्रभावित क्षेत्रो की ग्राम सभा से मात्र दो सरपंच शासी परिषद का हिस्सा थे। सीएसई द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में उप महानिदेशक चंद्र भूषण ने बताया कि खनन प्रभावित आम लोगों को सशक्त बनाने में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। छत्तीसगढ़ में “नैसर्गिक खनिज उत्खनन के लाभ को प्राप्त करने हेतु लोगों के अधिकारों को डीएमएफ द्वारा मान्यता दी गई है। सेंटर फॉर साईंस एंड इनवॉयरमेंट ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा डीएमएफ नियमों में संशोधन से राज्य में खनन क्षेत्र में आने वाले जिलों में प्रभावित लोगों के जीवन और आजीविका में सुधार की अपार संभावनाएं खुलेंगी। छत्तीसगढ़ 4,000 करोड़ रुपए से अधिक के कुल संग्रह के साथ डीएमएफ के मामले में शीर्ष राज्यों में शुमार है।

Read More: JCCJ चीफ अजीत जोगी का बड़ा फैसला, नगरीय निकाय चुनावों में उतारेंगे उम्मीदवार

डीएमएफ में संशोधन कर लोगो की आकांक्षाओ को पूरा करने हेतु आवश्यकता आधारित 5 साल का विजन प्लान तैयार करने का प्रावधान किया गया है। कम से कम 50 प्रतिशत व्यय प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों के लिए जाने के प्रावधान के साथ ही प्राथमिकता क्षेत्र जैसे पेयजल, आजीविका, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा आदि के लिए कम से कम 60 प्रतिशत व्यय करने का प्रावधान किया गया है। सीएसई के उप महानिदेशक भूषण ने छत्तीसगढ सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा है कि “डीएमएफ निधि के अनियोजित व्यय को रोकने के लिए यह बहुत जरूरी कदम हैं। पहले छत्तीसगढ में शहर के पार्किंग स्थल, एयरपोर्ट रनवे, कन्वेंशन हॉल आदि पर पैसा खर्च किया जा रहा था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस साल की शुरुआत में भी इस पर ध्यान दिया और इस तरह के निर्माण को रोक दिया”।

Read More: राज्य प्रशासनिक सेवा के 2 अफसरों का तबादला, जानिए किसे कहां मिला नया पदभार

छत्तीसगढ़ में अब डीएमएफ निधि के माध्यम से वन आधारित आजीविका वृद्धि को एक प्राथमिकता दी गई है। निधि का उपयोग उन लोगों के आजीविका के अवसरों के लिए किया जाएगा जिनको वनाधिकार को मान्यता दी गई है। डीएमएफ निधि को मानव संसाधनों जैसे स्वास्थ्य केंद्रों और शैक्षणिक संस्थानों में कर्मचारियों के भर्ती, खनन प्रभावित क्षेत्रों के छात्रों के लिए कोचिंग और शिक्षण शुल्क आदि के लिए खर्च किया जाना चाहिए। डीएमएफ की बेहतर सार्वजनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने सोशल ऑडिट (सामाजिक अंकेक्षण) पर भी जोर दिया गया है।

Read More: कौन होगा कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष ? ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिलेगी कमान या फिर आएगा गांधी परिवार का नाम

<iframe width=”560″ height=”315″ src=”https://www.youtube.com/embed/rNk04RjEa_I” frameborder=”0″ allow=”accelerometer; autoplay; encrypted-media; gyroscope; picture-in-picture” allowfullscreen></iframe>