नए साल में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र ‘बैगा आदिवासियों’ को सौगात, पवन उर्जा से बनी बीजली से रोशन होगा कवर्धा का वनांचल क्षेत्र

नए साल में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र 'बैगा आदिवासियों' को सौगात, पवन उर्जा से बनी बीजली से रोशन होगा कवर्धा का वनांचल क्षेत्र

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  • Publish Date - January 1, 2020 / 04:27 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:50 PM IST

कवर्धा: जिले के लिए नया साल अच्छी खबर लेकर आया है, यह अच्छी खबर जिले के वनांचल क्षेत्र के लेागों को बड़ी राहत दे सकती है। क्रेडा द्वारा अब तक जहां वनांचल व पहुंचविहीन बैगा आदिवासी क्षेत्रों में सौर प्लेट से बिजली पहुंचाती है वहीं, अब जल्द ही पवन चक्की से ये गांव रोशन होगें। ऐसा होता है तो संभवता प्रदेश का पहला जिला होगा, जहां पवन चक्की से गांव रोशन होंगे। वह भी बैगाआदिवासी बाहुल क्षेत्र के गांव। क्रेडा विभाग द्वारा अलग अलग समय पर अब तक जिले के चार स्थानों पर मशीन लगाकर हवा की दिशा, उसकी ताकत व कई जानकारी एकत्रित की है। इनमें दो जगहों से पवन चक्की लगाने के लिए अनुकूल दशा पाई गई है।

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मिली जानकारी के अनुसरा क्रेडा की केन्द्रीय टीम द्वारा जिले के ग्राम सुकझर, बनगौरा, दराई व सरोदा दादर में मशीन लगाकर हवा की स्थिति की जांच की गई है। अंतिम बार जांच जुलाई 2017 से लेकर जुलाई 2019 तक ग्राम सरोदा दादर में यह टेस्टिंग की गई। दो साल की जांच के बाद टीम को लग रहा है कि जिले में पवन चक्की लगाई जा सकती है, जिससे बिजली पैदा की जाएगी। फिलहाल दो साल तक चली लंबी जांच के बाद अब विभाग की ओर से उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द से जल्द पवन चक्की लगाने का काम शुरू हो सकता है।

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जिले में मैकल श्रेणी की लंबी श्रृखला है, जहां से ऊंचे ऊंचे पहाड़ है। इन पहाडों में आज भी विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति के लेाग निवास करते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र की माना जाता है। हालांकि इन क्षेत्रों में शासन सुविधाएं देने की कोशिश की समय समय पर करती रही है, लेकिन दुर्गम स्थान होने के कारण कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसा ही हाल बिजली का है, जहां आज भी 100 से अधिक गांव अंधेरे में है। प्राकृतिक रूप से ये वनांचल व पहाड आज भी कई मामलों में लाभकारी भी है, इन स्थानों पर हवाएं तेज चलती है। ऐसे में यहां पवन चक्की लगाकर बिजली पैदा की जा सकती है।

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