रायपुर: कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने वैक्सीन राष्ट्रवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। विकास ने कहा,भारत ने तीसरे चरण के ट्रायल की समीक्षा किए बिना इसे इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। यह ख़रनाक है। उन्होंने कहा,एक ग़लती से वैक्सीन के भरोसे को भारी नुक़सान हो सकता है। मोदी सरकार को चीन और रूस का अनुसरण नहीं करना चाहिए बल्कि वैक्सीन की विश्वसनीयता बनाये रखने पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी चाहिए।आज कोविड-19 के चलते पूरा देश तहस नहस हो गया है। एक से एक लोगों की असामयिक मृत्यु ने वो जगह रिक्त कर दिया है जिसे भरना मुश्किल है,ऐसे में जीवन रक्षक के रूप में जिस वैक्सीन का इंतजार था वह पारदर्शी होना चाहिए। ऐसा न हो कि लोगों की सहानुभूति बटोरने हम देश के लोगों को एक और मुश्किल में डाल दें।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन को अनुमति दिए जाने को जल्दबाजी में लिया गया निर्णय बताया है। उन्होंने सवाल उठाया है कि दोनों वैक्सीन के तीसरे ट्रायल के आँकड़े जारी किए बिना अनुमति कैसे दे दी गई।इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार राष्ट्रवाद के नाम पर देश को खतरा में डाल रही है। जबकि तीसरे चरण के ट्रायल में बड़ी संख्या में लोगों पर उस दवा को टेस्ट किया जाता है और फिर उससे आए परिणामों के आधार पर पता लगाया जाता है कि वो दवा कितने प्रतिशत लोगों पर असर कर रही है। विकास उपाध्याय ने कहा,पूरी दुनिया में जिन तीन वैक्सीन फ़ाइज़र बायोएनटेक, ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजे़नेका और मोडेर्ना की चर्चा है, उनके फ़ेस-3 ट्रायल के आँकड़े अलग-अलग हैं। ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन को 70 फ़ीसदी तक कारगर बताया गया है। परन्तु भारत में कोवैक्सीन के अलावा कोविशील्ड कितने लोगों पर कारगर है इस पर संसय बना हुआ है।इसमें तो चाहिए ये होना था कि पूरा मोदी मंत्रिमंडल एक साथ इस वैक्सीन को लगा कर देश को एक विश्वास का संदेश देती जबकि इसके ठीक उलट मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह इस वैक्सीन को न लगाने की बात कर लोगों में और शंका उत्पन्न कर रहे हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता विकास उपाध्याय ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा,कोविशील्ड के भारत में 1,600 वॉलंटियर्स पर हुए फ़ेस-3 के ट्रायल के आँकड़ों को सार्वजनिक करे। वहीं, कोवैक्सीन के फ़ेस एक और दो के ट्रायल में 800 वॉलंटियर्स पर इसका ट्रायल हुआ था जबकि तीसरे चरण के ट्रायल में 22,500 लोगों पर इसको आज़माने की बात कही गई है।
लेकिन इनके आँकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।इसका साफ मतलब है कि कोवैक्सीन का अभी तक तीसरे चरण का ट्रायल हुआ ही नहीं है और अनुमति दे दी गई है। विकास उपाध्याय ने कहा,डेटा को लेकर पारदर्शी होने की ज़िम्मेदारी केन्द्र सरकार की है और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो ये लोगों के भरोसे को प्रभावित करेगा।