नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई में बढ़ा जांच का दायरा, छत्तीसगढ़ से भी खंगाले जा रहे कनेक्शन, देखें पूरा मामला

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई में बढ़ा जांच का दायरा, छत्तीसगढ़ से भी खंगाले जा रहे कनेक्शन, देखें पूरा मामला

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  • Publish Date - May 13, 2021 / 03:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

जबलपुर। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई मामले में जबलपुर पुलिस अब अपनी जांच का दायरा बढ़ाने जा रही है, जिसके बाद अब जबलपुर पुलिस की एक टीम जांच के लिए गुजरात के साथ अब छत्तीसगढ़ भी जाएगी, दरअसल नकली इंजेक्शन मामले में छत्तीसगढ़ का नाम भी सामने आने के बाद जबलपुर पुलिस ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है। बता दें कि छत्तीसगढ़ के रायपुर की डायमंड एजेंसी ने भी सूरत की आदिनाथ डिस्पोजेबल को 200 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के ऑर्डर देने की बात सामने आई है, हालांकि डायमंड एजेंसी तक नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खेप नहीं पहुंची है,लेकिन अब मामले में छत्तीसगढ़ का नाम आने के बाद जांच टीम सक्रिय हो गई है।

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दरअसल नकली इंजेक्शन के काले कारोबार का भांडाफोड़ होने और उसके जबलपुर कनेक्शन का खुलासा होने के बाद जबलपुर पुलिस अब कड़ी से कड़ी जोड़ने में जुट गई है। जबलपुर पुलिस को सबसे पहले गुजरात पुलिस से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कारोबार की बात पता चली थी, जिसमें गुजरात पुलिस ने बताया था कि सूरत की आदिनाथ डिस्पोजेबल के कौशल महेंद्र कुमार वोरा इन इंजेक्शन के काले कारोबार को कर रहे हैं, जिसके बाद सूरत पुलिस ने कौशल महेंद्र कुमार वोरा हिरासत में लेकर पूछताछ की है। जिसमें सूरत पुलिस को जबलपुर के भगवती फार्मा के संचालक सत्येंद्र जैन के नाम का पता चला है। इसके बाद गुजरात पुलिस जबलपुर पहुंची और सत्यम जैन को अपने साथ गुजरात ले गई, सत्यम जैन से गुजरात में हुई पूछताछ में सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा का नाम पता चला, सत्यम जैन ने पुलिस को बताया कि उसने मोखा को 464 नकली इंजेक्शन दिए है, जिसके बाद गुजरात पुलिस ने पूरी जानकारी जबलपुर पुलिस से साझा की है।

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गुजरात पुलिस से मिले सुराग के बाद जबलपुर पुलिस ने भगवती फार्मा में दबिश देकर नकली इंजेक्शन से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लिए,और सत्यम जैन को गिरफ्तार किया, इसके बाद सरबजीत सिंह मोखा और उसके मैनेजर देवेश चौरसिया को गिरफ्तार कर रासुका के तहत कार्रवाई कर दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया, मोखा और देवेश की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही गुजरात पुलिस की एक टीम जबलपुर पहुंची, जहां सपन जैन और देवेश चौरसिया से पूछताछ की, जिसमें 35 इंजेक्शन नर्मदा में फेंकने और 36 इंजेक्शन घर में छिपाने की बात सपन ने स्वीकार की, वहीं देवेश चौरसिया ने 60 इंजेक्शन सिटी अस्पताल में मरीजों को लगाने की बात कबूल की है। हालांकि मोखा के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण गुजरात पुलिस और जबलपुर पुलिस की मोखा से पूछताछ नहीं हो सकी है,लेकिन गुजरात पुलिस आगे की पूछताछ के लिए जहां ट्रांजिट रिमांड पर देवेश चौरसिया को अपने साथ गुजरात लेकर चली गई है। इसी दौरान जबलपुर पुलिस की एसआईटी के हाथ नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कारोबार से छत्तीसगढ़ की फर्म डायमंड एजेंसी के द्वारा दिए गए 2 सौ इंजेक्शन के ऑर्डर और एडवांस देने के दस्तावेज के साथ सप्लाई न होने की शिकायत पत्र भी लगा है, जिसके बाद अब मामले की कड़ी को खंगाले जबलपुर पुलिस की टीम जल्द छत्तीसगढ़ जाएगी।

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नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले का खुलासा होने के बाद,अब इसकी नई परतें खुलनी शुरू हो गई हैं।  नकली रेमडेसिविर से छत्तीसगढ़ में कहर बरपाने की साजिश का खुलासा हुआ है। रायपुर की डायमंड एजेंसी ने रेमडेसिविर का दवा का आर्डर दिया था । रैकेट का खुलासा हो जाने से छत्तीसगढ़ के कई मरीजों की जान बच गई है।

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रायपुर की दवा फर्म ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई का ऑर्डर दिया था। पहली खेप में 200 रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए आर्डर दिया गया था। इस फर्म ने 6 लाख 80 हजार 400 रु का एडवांस भी डिपॉजिट कर दिया था।

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रायपुर सहित अन्य जिलों में नकली इंजेक्शन बेचने तैयारी थी। एजेंसी ने असली समझकर इंजेक्शन का आर्डर दिया था। मामले का खुलासा होने के बाद एंजेसी ने माना थाने में शिकायत दर्ज कराई है।