भोपाल: मध्यप्रदेश में एक बार फिर कोरोना विस्फोट हुआ है। संक्रमण की रफ्तार ऐसी कि एक्टिव मरीजों की संख्या 20 हजार के पार चली गई है। वहीं, मौत के आंकड़े भी डराने लगे हैं। बीते 24 घंटे में कोरोना ने 15 लोगों की जान चली गई है। बढ़ते संक्रमण के बीच सरकार भी सख्ती दिखा रही है। सीएम शिवराज ने शनिवार को समीक्षा बैठक के बाद निर्देश दिया कि बिना मास्क के बाहर घूमने वालों को जुर्माना और जेल में डाला जाएगा। इसके अलावा सीएम ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दे दिया है कि वो हालात के मुताबिक लॉकडाउन का फैसला ले सकते हैं।
मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर खतरनाक होती दिख रही है। प्रदेश में पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 2839 केस आए हैं। एक साल के कोरोनाकाल का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी गंभीर हैं। मुख्यमंत्री ने अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर आपात बैठक बुला ली है, जिसमें बड़ा और कड़ा फैसला भी लिया जा सकता है। हालांकि हालात को देखते हुए कई बड़े फैसले पहले ही लिए जा चुके हैं। प्रदेश में वैक्सीनेशन का टारगेट रोजाना 2 लाख से बढ़ा कर 4 लाख किया है। अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। छिंदवाड़ा, बैतूल, खरगौन, रतलाम में कर्फ्यू लगाया गया है। भोपाल और इंदौर में शनिवार रात 9 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगाया गया है। जिन शहरों में केस ज्यादा हैं वहां युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन के प्रोग्राम चलेंगे, जिलों और शहरी क्षेत्रों में माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए जा रहे हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदेश में संक्रमण दर 10% से कम नहीं हो पा रही है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में तो संक्रमण दर 20% से ज्यादा हो चुकी है।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर, पहली लहर से ज्यादा खतरनाक है। प्रदेश में एक्टिव मरीजों की संख्या 20 हजार पार चली गई है। पहली लहर में इस आंकड़े तक पहुंचने में 26 दिन लगे थे, लेकिन दूसरी लहर में महज 11 दिन ही लगे। प्रदेश के चार महानगरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में दूसरी लहर कहर बनकर टूटी है। प्रदेश में कोरोना से पिछले 24 घंटे में 15 मौतें हुई हैं। इसमें सबसे ज्यादा 4 इंदौर में दर्ज की गईं। बीते 10 दिन में 101 लोग कोरोना की जंग हार गए हैं। फिलहाल मध्यप्रेदश के 31 जिलों में 20 से ज्यादा केसेस ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इधर कांग्रेस भी इंतजामों पर सवाल उठाते हुए बीजेपी सरकार पर कोरोना में आंकड़ों की बाजीगरी करने का आरोप लगाया है।
प्रदेश में जितने केस इस साल जनवरी और फरवरी मे मिलाकर नहीं आए, उससे ज्यादा मार्च में बढ़ गए। जनवरी-फरवरी में जहां केस 20 हजार से कम केस थे, वहीं मार्च में करीब 34 हजार केस हो गए। अप्रैल के तो शुरुआती 2 दिन में ही 5,000 से ज्यादा केस आ चुके हैं। जाहिर है सरकार के सामने लॉकडाउन के अलावा दूसरा बड़ा विकल्प नहीं है। लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार चाहती है कि बिना लॉकडाउन के कोरोना की संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके, जो फिलहाल मुमकिन नहीं दिखता।
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