कलेक्टर ने पात्र अभ्यर्थी को नहीं दी थी नौकरी, 34 साल बाद 20 लाख देना पड़ा जुर्माना, पीड़ित ने कहा.. अभी तो लड़ाई बाकी है

कलेक्टर ने पात्र अभ्यर्थी को नहीं दी थी नौकरी, 34 साल बाद 20 लाख देना पड़ा जुर्माना, पीड़ित ने कहा.. अभी तो लड़ाई बाकी है

  •  
  • Publish Date - January 25, 2020 / 04:37 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:00 PM IST

दमोह, मध्यप्रदेश। जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया पालन। कलेक्टर की संपत्ति कुर्क होने से पहले कलेक्टर ने पीड़ित को दिया 20 लाख का चेक। वहीं फरियादी ने कहा अभी लड़ाई बाकी है।

पढ़ें- ससुराल में दामाद का ऐसा स्वागत! पहले तो जीजा को जमकर पीटा फिर निर्वस्त्र करके गांव में घुमाया, सा…

तेंदूखेड़ा निवासी सुशील जैन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए दमोह कलेक्टर को आदेश दिया था कि, पीड़ित को हर्जाने के तौर पर 20 लाख की राशि प्रदान की जाए। मगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ना मानते हुए कलेक्टर ने लगातार विलंब किया जिसके बाद दमोह सेशन कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए कुर्की वारंट जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि अगर 24 तारीख को दमोह कलेक्टर 20 लाख रुपए की राशि हर्जाने के तौर पर पीड़ित को नहीं देते तो उनकी लग्जरी अंबेस्टर कार तथा महंगा फर्नीचर कुर्क कर राशि वसूली जाएगी।

पढ़ें- राजगढ़ कलेक्टर पर टिप्पणी से नाराज इस आईएएस ने सोशल मीडिया में बयां…

आदेश के बाद 24 जनवरी को तमाम मीडिया की नजरें जिला कलेक्टर कार्यालय पर टिकी रही। करीब 4:00 बजे जिला कलेक्टर ने 20 लाख न्यायालय में जमा कर दिया। जहां से पीड़ित को ₹20 का चेक प्रदान किया गया। वहीं याचिकाकर्ता सुशील जैन ने कहा कि अभी तो लड़ाई बाकी है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया था कि हर्जाने के तौर पर 20 लाख रुपये की राशि पीड़ित को दी जाए तथा नौकरी में नियुक्ति की जाए, बहरहाल जो भी हो, आज एक बात तो तय हो गई कि, न्यायपालिका के सामने प्रशासन कितना भी प्रयास कर ले मगर उसे न्यायपालिका के आदेशों का पालन करना ही होता है।

पढ़ें- संविदा कर्मियों को राज्य सरकार ने दी बड़ी सौगात, 8 प्रतिशत इंक्रीमे…

स्कूल और मिनी बस में भिड़ंत, पांच घायल