भोपाल: मध्यप्रदेश की सियासत का तरीका अब बदलता जा रहा है, क्योंकि सूबे की सियासत में अब नारियल ने अपनी जगह पक्की कर ली है। अब ये नारियल वो नारियल नहीं रहा, जिस पर कांग्रेस तंज कसती थी। बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की खिंचाई करती थी। अब इसी नारियल को बीजेपी ने अपना मजबूत हथियार बना लिया है। जाहिर है कांग्रेस बीजेपी की इस चाल से बैक फुट पर है, लेकिन फिर भी कांग्रेस बीजेपी पर प्रदेश की जनता को असल मुद्दों से गुमराह करने का आरोप लगा रही है। जो भी हो लेकिन शुभ का प्रतीक नारियल सियासत में किसको लाभ देगा? ये भी जान लेना जरुरी है।
ये राजधानी भोपाल में मंगलवार सुबह 11 बजे की तस्वीर है जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सायरन बजने पर रुक गए। दरअसल इस कार्यक्रम के जरिए मुख्यमंत्री जनता को कोरोना से सतर्क करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने खुद गोले भी बनाए और मॉस्क भी बांटे। अब दूसरी तरफ ये तस्वीर देखिए ये भोपाल के लालघाटी की तस्वीर हैं बीजेपी सरकार के एक साल पूरे होने पर विकास का नारियल फोड़ा गया। शायद सायरन और नारियल के जरिए बीजेपी सरकार और संगठन कांग्रेस से खुद को आगे बताना चाहता है। सायरन के जरिए जनता में जागरुकता का संदेश तो नारियल के जरिए कांग्रेस के उन आरोपों का जवाब, जिसमें वो दावा करते हैं कि मुख्यमंत्री सदैव अपने साथ नारियल लेकर चलते हैं ताकि जब शिलान्यास या भूमि पूजन करना हो कर दें।
सायरन और नारियल में उलझी प्रदेश की राजनीति में अब दोनों ही पार्टियों की तरफ से बयानबाजी शुरु हो चुकी है। कांग्रेस इसे नौटंकी करार दे रही है तो बीजेपी का कहना है कि प्रदेश में इस वक्त सभी को एक साथ आगे आना चाहिए।
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कोरोना रिटर्न्स के कारण हालात तो बिगड़ते ही हैं। चुनौती इस बात की बढ़ गई है कि मौजूदा स्थिति पर काबू कैसे किया जाए। इस वक्त प्रदेश के तीन शहरों में रविवार को लॉकडाउन रहता है और मुख्यमंत्री भी टोटल लॉकडाउन की संभावना से इनकार कर चुके हैं।
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