आगर-मालवा: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देना होना चाहिए। नई शिक्षा नीति में इन तीनों बातों का पर्याप्त ध्यान रखा गया है। इन्हें मध्यप्रदेश में लागू किया जाएगा। कक्षा छठवीं से व्यावसायिक शिक्षा दी जाएगी।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि शिक्षा का अर्थ तोते की तरह रटना, बस्ते के बोझ से दबे रहना तथा परीक्षा देना नहीं है। शिक्षा से बच्चों का स्वाभाविक विकास तथा उनकी प्रतिभाओं का प्रकटीकरण होना चाहिए। इसके लिए शिक्षकों के शिक्षण-प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री चौहान ने आज आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी में विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा “शिक्षक-शिक्षा का कायाकल्प” पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया। स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कैलाश चंद्र शर्मा, दत्तात्रेय होसबले और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान ने “शिक्षा पथ प्रदीपिका” पुस्तक का विमोचन भी किया।
समाज के सहयोग से शिक्षा
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि शिक्षा देना केवल सरकार का कार्य नहीं है। समाज के सहयोग से शिक्षा दी जानी चाहिए। इस क्षेत्र में विद्या भारती जैसी संस्थाएँ काफी अच्छा कार्य कर रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे कार्य कर रहे संस्थानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
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जो चाहे पढ़ाएँ, यह नहीं चलेगा
मुख्यमंत्री चौहान ने स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षण संस्थाएँ अमर्यादित शिक्षा देकर विद्यार्थियों को दिग्भ्रमित करें, यह नहीं चलेगा। यदि कोई संस्थान गलत शिक्षा देता है, तो उसे रोका जाएगा। हम आतंकवादी नहीं बनने दे सकते। स्कूलों के नाम पर कुछ भी खोला जाए, यह नहीं चलेगा।
शिक्षाविदों को जोड़ा जाए
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश पहला राज्य है जहाँ नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इसमें प्रदेश के विभिन्न शिक्षाविदों को जोड़ा जाए, जो नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को मध्यप्रदेश में किस तरह व्यवहारिक रूप से लागू किया जाए, इस संबंध में सुझाव दें।
अपने शिक्षक रतन चंद जैन को याद किया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने गाँव जैत के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक रतन चंद जैन को याद करते हुए कहा कि उनके द्वारा दी गई शिक्षा मेरे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे प्रत्येक शनिवार को विद्यार्थियों को रामचरित मानस पढ़ाया करते थे। “इससे न केवल मैं वक्ता बना, अपितु मुझे भगवान राम की मर्यादाओं के अनुरूप जीवन जीने की प्रेरणा मिली” बिना नैतिकता के शिक्षा व्यर्थ है। शिक्षा मनुष्य को मनुष्य बनाती है और अज्ञान से मुक्त करती है।
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आत्म-निर्भर मध्य प्रदेश के रोड मैप में शिक्षा अहम
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए बनाए गए रोड मैप में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रदेश में उच्च गुणवत्तायुक्त सी.एम. राइज स्कूल खोले जाने के लिए डेढ़ हज़ार करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। अच्छी तकनीकी शिक्षा के लिए ग्लोबल स्किल पार्क तथा आदर्श आईटीआई बनाए जा रहे हैं।
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