रायपुर: राज्य के मल्टीप्लेक्स सिनेमा घरों में छत्तीसगढ़ी फिल्मों के प्रदर्शन को लेकर शनिवार को आबकारी भवन में संस्कृति एवं आबकारी विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में राज्य के फिल्म निर्माता, निर्देशकों तथा अभिनेताओं के विभिन्न सुझावों के पर चर्चा की गई। बैठक में छत्तीसगढ़ी फिल्मों को मल्टीप्लेक्स और सिनेमाघरों में दिखाए जाने के लिए सिनेमा अधिनियम के तहत शिघ्र कार्रवाई करने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। बता दें कि छत्तीसगढ़ सिने टेलीविजन प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक मांग पत्र सौंपा था, जिसमें सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स में छततीसढ़ी फिल्मों के प्रदर्शन सहित कई सुझाव दिए गए थे। बैठक में छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता-निर्देशक, अभिनेतां एवं मल्टीप्लेक्स के संचालक उपस्थित रहे।
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गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के मल्टीप्लैक्स में छत्तीसगढ़ी फिल्में नहीं लगाए जाने की बात को लेकर छॉलीवुड इंडस्ट्री ने 5 मई को हड़ताल का ऐलान किया था। 5 मई को प्रदेश के सभी सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स कां बंद कराने की तैयारी की जा रही थी। वहीं, छॉलीवुड इंडस्ट्री की मांग पर भाजपा ने समर्थन देने की बात कही थी। छॉलीवुड इंडस्ट्री के धरने को लेकर पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कहा था कि छॉलीवुड इंडस्ट्री की मांग वाजिब है, मैं खुद धरने का समर्थन करता हूं और धरने में बैठूंगा।
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छॉलीवुड इंडस्ट्री ने सिनेमाघर संचालकों और मल्टीप्लेक्स संचालकों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म देखने वाले ऑडियंस मल्टीप्लेक्स में आकर फिल्में तो देखते हैं, लेकिन 250 रुपए का पॉपकॉर्न खरीदकर नहीं खाते। इससे कैंटिन संचालकों को नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं, आरोप यह भी है कि बॉलीवुड की फिल्में रिलीज होने के बाद सिनेमाघरों से छत्तीसगढ़ी फिल्में उतार दी जाती है। ये छॉलीवुड इंडस्ट्री के साथ नाइंसाफी है।