NIA कानून 2008 को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, कहा- केंद्र सरकार को देता है मनमाना अधिकार

NIA कानून 2008 को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, कहा- केंद्र सरकार को देता है मनमाना अधिकार

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  • Publish Date - January 15, 2020 / 07:26 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:10 PM IST

दिल्ली: प्रदेश कई मामलों की जांच में एनआईए की दखल को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सरकार ने अपनी याचिका में एनआईए कानून 2008 को असैंवाधानिक घोषित करने की मांग करते हुए कहा है कि यह कानून केंद्र सरकार को मनमाना अधिकार देता है। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ के किसी भी मामले में जांच का अधिकार एनआईए को न दिया जाए।

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गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम, नान सहित कई अन्य मामलों एनआईए जांच कर रही थी। वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान हुए नक्सली हमले में दंतेवाड़ा के पूर्व विधायक भीमा मंडवी का निधन हो गया था। इस मामले में भी भाजपा एनआईए जांच की मांग कर रही है।

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क्या है एनआईए कानून 2008
भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संघीय जांच एजेंसी है। यह केन्द्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है। एजेंसी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निपटने के लिए सशक्त है। एजेंसी 31 दिसम्बर 2008 को भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक 2008 के लागू होने के साथ अस्तित्व में आई थी।

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राष्ट्रीय जांच एजेंसी को 2008 के मुंबई हमले के पश्चात स्थापित किया गया, क्योंकि इस घटना के पश्चात आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक केंद्रीय एजेंसी की जरूरत महसूस की गई। आतंकी हमलों की घटनाओं, आतंकवाद को धन उपलब्ध कराने एवं अन्य आतंक संबंधित अपराधों का अन्वेषण के लिए एनआईए का गठन किया गया जबकि सीबीआई आतंकवाद को छोड़ भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों एवं गंभीर तथा संगठित अपराधों का अन्वेषण करती है।

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