रायपुर: राजधानी अस्पताल में लगी आग ने 5 लोगों की जान ले ली। अस्पताल के ICU में लगी आग ने पहले तो यहां अफरातफरी मचाया फिर जद्दोजहद शुरू हुई परिजनों का अपने मरीजों को बाहर निकालने और गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन और अन्य सुविधा मुहैया कराने की इस बीच वेंटिलेटर पर एक मरीज की मौत हो गई। यहां दूसरी विक्लांग मरीज ऑक्सीजन के बिना तड़पकर मर गई, 4 लोगों का दम धुएं ने घोट दिया।
आहें, दर्द और आंसूओं की दास्तान दुनिया के कई देशों की तकदीर बन चुकी है, जिससे भारत अछूता नहीं। वहीं भारत में कोविड19 के संक्रमण को लेकर देश में दूसरे नंबर पर बने हुए छोटे से प्रदेश छत्तीसगढ़ की हालत कहने लायक नहीं है। मौत के आंकड़ों ने यहां आसूं सुखा दिए हैं, शमशानें जल रही है, गांव-शहर विरान है, अस्पतालों में बिस्तर नहीं, मरीजों को ऑक्सीजन नहीं, वेंटिलेटर की कमी से तड़पकर मरते लोगों के परिजनों की किलकारियां और ऐसे में कहीं अस्पताल ही जलजाएं। तब क्या ऐसा ही वाक्या हुआ, राजधानी रायपुर स्थित राजधानी अस्पताल में जहां ICU में लगी आग फैलकर पूरे अस्पताल को धुएं में डूबा दिया। मरीज और उनके परिजनों के पास अस्पताल से निकलकर भागने के सिवा कोई चारा न था। लेकिन उनका क्या जो वेंटिलेटर पर थे ऑक्सीजन पर थे, उनको बिमारी से पहले आग ने मौत दे दी।
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आग कि खबर ने एक ओर जहां अस्पताल में मरीज और परिजनों के बीच हड़कंप मचा दिया वहीं भागा दौड़ी में भी लोगों को नुकसान हूआ, इस बीच शासन प्रशासन का कोई जवाबदार वहां नहीं पहुंचा बल्कि जो रिपोर्टर वहां खबर कवरेज करने पहुंचे थे। उन्होनें ही लोगों को रेश्क्यू करना शुरू किया, जो जिस स्थिति में था वैसे ही अस्पताल से भागा, कहीं किसी ने ऑक्सीजन सिलेंडर लेके अपने मरीज को बचाने के लिए बाहार निकाला। तो कहीं परिजन मरीजों को जस के तस हालत में अस्पताल से बाहर निकालने में लगे रहें।
एक ओर प्रदेश में कोरोना का कहर लोगों की सांसे छिन रहा है वहीं इस तरह के हालात लोगों को और नाकारात्मकता से भर रहा है, अस्पताल में कोरोना की लड़ाई लड़ने पहंचे मरीजों को आग ने अकाल काल के मुंह में धकेल दिया। अस्पताल प्रबंधन भी वहां कुछ नही कर पाया और न ही प्रबंधन का कोई जवाबदार वहां पहुंचा। बताया जाता है कि वहां पहले मॉल हुआ करता था, जिसे अस्पताल में तब्दिल किया गया है पर यहां व्यवस्था के नाम पर मरीजों की जान से खिलवाड़ के सिवा कुछ नही, और बड़ी बात इस घटना के बाद भी घंटो यहां लोग जिंदगी और मौत से जुझते रहें और प्रशासन का कोई भी जिम्मेदार यहां व्यवस्था संभालने नही आया।
प्रबंधन और प्रशासन की लापरवाही ने यहां 6 लोगों की जान ले ली और सरकार नियमों के साथ प्रबंधन के सुरक्षा दावों की पोल खुल गई। आखिर इस लापरवाही से जिन परिजनों ने अपनों को खोया है, उसका क्या? उनके दर्द का क्या, किसी के घर का दीपक बुझा? किसी ने पिता किसी ने बेटा खोया उनका क्या? इन सब का जवाब अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन को देना होगा।
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