बिलासपुर: हाईकोर्ट ने आरएमए छात्रों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन ये छात्र मेडिकल ऑफिसर के अधीन वे छात्र अपनी सेवाएं दे सकेंगे। बता दें कि ग्रामीण चिकित्सा सहायक पाठ्यक्रम पास छात्रों नियुक्ति व छत्तीसगढ़ चिकित्सा मंडल को लेकर 3 याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरएमए छात्रों के ग्रामीण इलाकों में प्रैक्टीस पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मामले में 2001 से सुनवाई चल रही थी, जिसमें हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में पाठ्यक्रम को सही माना है लेकिन आर एम ए के प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है वे मेडिकल ऑफिसर के अधीन अपनी सेवाएं जारी रखेंगे। कोर्ट के इस फैसले से आरएमए की पढ़ाई करने वाले 1300 डिग्री धारी छात्रों को नया जीवनदान मिल गया है। इनमें 730 स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं 600 डिग्री धारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत है। पूरे मामले पर चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन व पीपी साहू की डिविजन बेंच ने अपना फैसला दिया है।