भोपाल: मध्य प्रदेश में इन दिनों नौकरशाही चरम पर है। अधिकारियों की मनमानी सरकार पर भी भारी पड़ रही है। हालात ऐसे हैं कि मंत्रियों की कार्रवाई का भी अफसरों पर कोई असर नहीं हो रहा है। उल्टा कार्रवाई करने के बाद मामला मंत्रियों पर ही भारी पड़ रहा है। यहां तक की कार्रवाई के बाद अफसर उल्टा मंत्रियों से सवाल-जवाब कर रहे हैं।
गौरतलब है कि सीहोर में मंत्री गोविंद सिंह ने तहसीलदार को हटाने का आदेश दिया था, लेकिन उलटा तहसीलदार ने ही मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। यह पहला मामला नहीं जब ऐसा हुआ हो। वनमंत्री उमंग सिंघार ने डीएफओ सहित 8 अफसरों को निलंबित करने का निर्देश दिया था। इस बार भी वही हुआ जो पहले मंत्री गोविंद सिंह के साथ हुआ था। आईएफएस एसोसिएशन ने उल्टा उमंग सिंघार को लेटर लिख दिया। इंदौर में बिजली कटौती पर बिजली अफसर लामबंद हुए, लेकिन सरकार को बिजली अफसरों के समाने झुकना पड़ा।
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स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा है कि अफसरों की इस मनमानी से मंत्रियों में बैचेनी सी है, लेकिन इसके बाद भी मंत्रियों के हाथ बंधे नजर आ रहे हैं। कुछ मंत्री इस तरह के हालातों से समझौता कर रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि अफसरों को जिम्मेदारी तो हर हाल में उठानी पड़ेगी।
मंत्री अफसरों को आदेशों का पालन करने के निर्देश दे तो रहे हैं, लेकिन हकीकत ये है कि अफसरों के खिलाफ उनकी कार्रवाई के आदेशों पर अमल अब भी नहीं हो रहा है। कहीं मध्यप्रदेश में अफसरशाही हावी तो नहीं हो गई।