ब्रम्हा की तपोभूमि है नर्मदा नदी पर स्थित बरमान घाट, कण-कण में व्याप्त है दैवीय शक्ति

ब्रम्हा की तपोभूमि है नर्मदा नदी पर स्थित बरमान घाट, कण-कण में व्याप्त है दैवीय शक्ति

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  • Publish Date - June 11, 2020 / 09:22 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:22 PM IST

नरसिंहपुर । एक प्राचीन घाट…एक पवित्र नदी…और उससे जुड़े हज़ारों मान्यताएं…ये सब मिलकर रचते हैं आस्था का एक अनुपम द्वीप । इस आस्था द्वीप का नाम है- बरमान घाट । इस घाट पर पुण्य का भागीदार बनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और आस्था की डुबकी लगाते हैं । मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर से करीब 32 किलोमीटर दूर स्थित है ये तपोभूमि । युगों-युगों से बरमान के नाम से प्रसिद्ध रहा है ये घाट । बरमान घाट नर्मदा के तट पर बसा है । इस घाट के बारे में कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां आकर घोर तपस्या की थी, जिसके बाद इस घाट के कण-कण में दैवीय शक्ति आ गई ।

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बरमान घाट में कई दर्शनीय स्थल हैं….जिनके दर्शन कर श्रद्धालु खुद को धन्य समझते हैं । यहां 12वीं सदी की वाराह प्रतिमा देखने लायक है। इसके साथ ही रानी दुर्गावती के बनवाए ताजमहल की आकृति का मंदिर भी विशेष आकर्षण का केंद्र है । इसके अलावा यहां 17 वीं शताब्दी का राम जानकी मंदिर भी है । 18वीं शताब्दी का हाथी दरवाजा भी छोटा खजुराहों के रूप में प्रसिद्ध है । बरमान घाट आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गरुड़ स्तंभ, पांडव कुंड, ब्रह्म कुंड और सतधारा विशेष दर्शनीय स्थल हैं । यहां पर सोमेश्वर मंदिर, दीपेश्वर मंदिर, शारदा मंदिर और लक्ष्मीनारायण मंदिर इतिहास के जीवंत दस्तावेज के रूप में मौजूद हैं।

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कहते हैं नर्मदा में स्नान से अनगिनत जन्मों का पाप धुल जाता है। यही वजह है कि बरमान घाट में आने वाला हर श्रद्धालु नर्मदा के जल में डुबकी लगाना नहीं भूलता । लोगों में इस जगह के प्रति इतनी श्रद्धा है कि वो दूर-दूर से पदयात्रा करके यहां पहुंचते हैं। युग बदले, दौर बदले लेकिन कभी नहीं घटी बरमान घाट की महिमा । आज भी नर्मदा का ये अनोखा तीर्थ अपनी जीवंत उपस्थिति दर्ज करा रहा है।