रायपुर: लंबे अरसे बाद बस्तर में अधूरी पड़ी बोधघाट परियोजना के निर्माण को लेकर छत्तीसगढ़ में सुगबुगाहट हुई है, तो इसे लेकर विरोध और सियासत भी तेज हो गई है। बस्तर में एक ओर जहां प्रोजेक्ट के विरोध में आदिवासी लामबंद हो रहे हैं तो दूसरी ओर इसे लेकर जुबानी जंग भी जारी है। प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बोधघाट प्रोजेक्ट के विरोध के पीछे बीजेपी का षडयंत्र बताकर इसमें नया विवाद खड़ा कर दिया है। ऐसे में सवाल है कि मंत्री लखमा के आरोपों में कितनी सच्चाई है। सवाल ये भी कि क्या वाकई बोधघाट प्रोजेक्ट के विरोध कर रहे लोगों के पीछे सियासी साजिश है।
आदिवासी नेता ओर प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा के इस बयान ने बस्तर में बोधघाठ परियोजना को हो रहे विरोध को नया मोड़ दे दिया है। कवासी लखमा प्रोजेक्ट के विरोध के पीछे बीजेपी का षड़यंत्र बताया है कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि बीजेपी 15 साल तक सरकार में रही लेकिन बस्तर के लिए कुछ नहीं किया। आज जब भूपेश सरकार बस्तर में विकास कार्यों को धरातल पर उतारने लगी है तो वो लोगों को गुमराह कर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वो कभी नहीं चाहती कि आदिवासियों का विकास हो। सीएम ने कहा कि विरोध करने वाले नेता बताएं कि उनकी खेत में पानी पहुंच रहा हैं या नहीं, नक्सली बताएं कि तेलंगाना और हैदराबाद में बांध बने है या नहीं। हम बोधघाट बांध पर अडिग नहीं लेकिन विरोध करने वाले विकल्प बताएं।
कवासी लखमा और सीएम के बयान के बाद बीजेपी की तरफ से नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पलटवार करते हुए सत्ता पक्ष पर बोधघाट परियोजना पर राजनीति करने का आरोप लगाया। कौशिक ने कहा कि अपनी खामियों को छिपाने के लिए कांग्रेस बीजेपी पर आरोप लगा रही है।
जाहिर है केंद्रीय जल आयोग से मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार बोधघाट परियोजना के सर्वेक्षण और डीपीआर तैयार करने में जुटी है तो दूसरी तरफ बस्तर में परियोजना को लेकर विरोध करने वाले लामबंध हो चले हैं। सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले आदिवासी नेताओं ने सरकार को प्रोजेक्ट बंद करने को लेकर अल्टीमेटम दिया है। बोधघाट परियोजना को लेकर अब तक कई सवाल उठते रहे हैं। अब मंत्री कवासी लखमा ने इसे बीजेपी की साजिश बताया है। सवाल है कि बस्तर के विकास का दावा करने वाली इस परियोजना को सरकार जमीन पर कैसे ला पाएगी। सवाल ये भी कि क्या इसके विरोध करने वाले चेहरों के पीछे वाकई सियासी साजिश छिपी है।