दो टूक संदेश…नहीं चलेगा ‘परिवार प्रेम’! शिवप्रकाश को ये नसीहत आखिर क्यों देनी पड़ी?

दो टूक संदेश...नहीं चलेगा 'परिवार प्रेम'! शिवप्रकाश को ये नसीहत आखिर क्यों देनी पड़ी?

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  • Publish Date - March 15, 2021 / 05:50 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:56 PM IST

रायपुर: कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाती आई बीजेपी अब खुद इसमें घिरती नजर आ रही है। पार्टी के कई दिग्गज नेताओं पर अपनों के मोह में परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है, जिसके कारण बीते कुछ समय से पार्टी में खींचतान बढ़ी है। लिहाजा बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने पहली बार रायपुर आए राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने दो टूक कह दिया है कि पुत्र मोह त्याग कर पार्टी हित में काम करें नेता। शिवप्रकाश के इस बयान के बाद पार्टी में खलबली मची है, तो कांग्रेस चुटकी ले रही है। लेकिन सवाल ये है कि शिवप्रकाश को ये नसीहत आखिर क्यों देनी पड़ी? क्या कुछ साल पहले जो स्थिति कांग्रेस में हुआ करती थी वो अब बीजेपी में दिखने लगी है ?

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छत्तीसगढ़ का प्रभार मिलने के बाद पहली बार रायपुर पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने दो टूक कह दिया है कि बीजेपी ने नेता पुत्र मोह त्याग कर पार्टी के हित में काम करें। शिवप्रकाश ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ये बात कही। दरअसल छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हो या फिर नगरीय निकाय चुनाव, बीजेपी के कुछ नेताओं पर परिवारवाद को बढ़ाने का आरोप लगता रहा है। अब प्रदेश कार्यकारिणी और मोर्चा प्रकोष्ठ की नियुक्ति में भाई भतीजावाद का आरोप बड़े नेताओं लग रहा है। बीजेपी मोर्चा के कई जिलों की नियुक्तियां तो बड़े नेताओं के पुत्रों और अपनों को एडजेस्ट करने के लिए अब तक अटकी हुई है। इन सबको देखते हुए ही राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री ने बीजेपी को नसीहत दी है। शिवप्रकाश के बयान से पार्टी में खलबली मची है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि बीजेपी में लोकतंत्र कायम है,  लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अगर कोई योग्य है, तो उसे मौका न दिया जाए।

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भारतीय जनता पार्टी के नेता चाहे कुछ भी तर्क दें लेकिन शिवप्रकाश की नसीहत से पार्टी के वो नेता जो बड़े नेताओं के भाई भतीजावाद और पुत्रों मोह का शिकार हुए हैं वे खुश हैं। वहीं कांग्रेस भी चुटकी लेने में पीछे नहीं है।

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बहरहाल ये सच है कि आज बीजेपी में वो सब हो रहा है जो कभी कांग्रेस में हुआ करता था, लेकिन तमाम नसीहतों के बाद भी पुत्र मोह और परिवारवाद खुलकर सामने आ रहा है। ऐसे में अब बड़ा सवाल है कि शिवप्रकाश की नसीहत से छत्तीसगढ़ बीजेपी में क्या बदलाव आएगा? सत्ता से बाहर होने के बाद  नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच जो दूरियां बढ़ी हैं उसमें कमी आएगी।

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