रायपुर: इस वक्त सारे देश की नगाहें दिल्ली के किसान आंदोलन पर टिकी हैं। दिल्ली में हर गुजरते दिन के साथ किसानों का जमावड़ा जिस तेजी से बढ़ रहा है वो केंद्र और भाजपा के लिए चिंता की बात है। केंद्र के निर्देश पर अब सारे देश में भाजपा सक्रिय है। छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने धान खरीदी केंद्रों के बाहर किसान पंचायत लगाकर उन्हें केंद्र के नए कृषि कानूनों का फायदे गिनाने शुरू कर दिए हैं। भाजपा का सीधा आरोप है कि किसान आंदोलन को भटकाकर विपक्ष सियासी रोटियां सेंक रहा है। इधर, प्रदेश में कांग्रेस ने भी अनशन और उपवास कर किसान आंदोलन को खुला समर्थन देते हुए केंद्र सरकार को घोर किसान विरोधी बताया है। यानि केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन की आग…अब धान के कटोरे की सियासत को भी गर्मा रही है…।
दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन की ये तस्वीरें बताती है कि केंद्र सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद प्रदर्शनकारी फिलहाल पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। मामला चूंकि देश के सबसे बड़े वोट बैंक किसान का है, लिहाजा हर पार्टी उनकी पैरवी में जुटी है। छत्तीसगढ़ में भी किसान आंदोलन को लेकर सियासी घमासान मचा है। केंद्रीय कृषि कानून के समर्थन में बीजेपी किसान पंचायत के जरिए जहां किसानों नाराजगी दूर करने की कोशिश कर रही है। धान खरीदी केंद्रों में किसान पंचायत का आयोजन कर वो नए कृषि कानून के फायदे गिनाने में लगी है।
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इधर छत्तीसगढ़ कांग्रेस दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में पूरे प्रदेश में उपवास और धरना-प्रदर्शन कर रही है। नए कृषि कानून को किसान विरोधी बताते हुए कांग्रेस मोदी सरकार पर निशाना साध रही है। वहीं CM भूपेश बघेल ने भाजपा को नसीहत दी कि वे भाजपा शासित राज्यों में जाकर किसानों को समझाएं।
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इन सबके बीच केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से राजीव गांधी किसान न्याय योजना का ड्राफ्ट मांग लिया। इसे लेकर भी सियासी घमासान शुरू हो गया। है। मुख्यमंत्री ने सीधे-सीधे आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस योजना की कमी ढूंढकर इसका लाभ किसानों को देने से रोकना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा कभी किसानों का भला कर ही नहीं सकती। वहीं भाजपा का कहना है कि केंद्र और सभी राज्य एक दूसरे की योजना का आकलन करते हैं। जब तक इस पर कोई फैसला नहीं होता, कुछ भी कहना सही नहीं है। मुद्दा धान और किसान का हो, तो धान के कटोरे में सियासी उबाल आ ही जाता है। देखना ये है कि देशभर को मथ देने वाले दिल्ली के आंदोलन का और क्या-क्या असर अभी यहां भी देखने को मिलेगा।