बस्तर के किसान उगा रहे काला गेहूं, वैज्ञानिकों का दावा- इसके सेवन से दूर होंगी शरीर की कई समस्याएं, विश्व बाजार में तेजी से बढ़ रही मांग

बस्तर के किसान उगा रहे काला गेहूं, वैज्ञानिकों का दावा- इसके सेवन से दूर होंगी शरीर की कई समस्याएं, विश्व बाजार में तेजी से बढ़ रही मांग

बस्तर के किसान उगा रहे काला गेहूं, वैज्ञानिकों का दावा- इसके सेवन से दूर होंगी शरीर की कई समस्याएं, विश्व बाजार में तेजी से बढ़ रही मांग
Modified Date: November 29, 2022 / 08:30 pm IST
Published Date: December 23, 2020 8:53 am IST

जगदलपुर। बस्तर में जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ अब किसान, आयरन जिंक प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट युक्त काला गेहूं का भी उत्पादन कर रहे हैं। आमतौर पर लागत महंगी होने के कारण इसका उत्पादन करने से किसान बचते रहे हैं, लेकिन कृषि वैज्ञानिकों ने इस अनाज की उपयोगिता और बाजार में मांग को देखते हुए 11 किसानों को 14 एकड़ में प्रायोगिक तौर पर काला गेहूं की फसल के लिए तैयार किया है

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बस्तर जिले में जैविक खेती की अपार संभावनाएं हैं और बस्तर के जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है । इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने बस्तर में काले गेहूं के उत्पादन के लिए ग्रामीणों को तैयार करना शुरू किया है। इसके लिए जगदलपुर के 11 किसानों ने 14 एकड़ में काले गेहूं की खेती शुरू की है । इसकी खूबी यह होती है कि इसमें शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की ताकत होती है ।
देश और प्रदेश में बढ़ती मांगों को ध्यान में रखते हुए इसकी खेती पर जोर दिया जा रहा है। खानपान में उपयोग बढ़ने के साथ ही ये फसल विश्व बाजार में अपनी पैठ जमा रही है, यही वजह है कि ये फसल किसानों को आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित होगी। काले गेहूं की प्रजाति में आयरन जिंक और एंटीऑक्सीडेंट सामान्य गेहूं की प्रजातियां से काफी ज्यादा है ।

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कृषि वैज्ञानिकों ने इसका बीज 6 से 10 हजार रु प्रति क्विंटल के हिसाब से भोपाल से मंगवाया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि काले गेहूं की खोज पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट ने की है । विशेषज्ञों का दावा है कि काला गेहूं खाने से शरीर को सही मात्रा में फाइबर मिलता है और इससे पेट के रोगों को भी लाभ मिलता है । जगदलपुर ब्लॉक के दो और बकावंड ब्लाक के 9 किसानों ने ये फसल लगाई है । यदि यह प्रयोग सफल रहता है तो आने वाले समय में बस्तर का जैविक उत्पाद के रूप में काले गेहूं की फसल भी तैयार की जाएगी ।


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