रायपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासन ने एडवायजरी जारी कर बचाव के तरीके बताएं हैं । वही पीएम-सीएम ने भी लोगों से घरों में ही रहने की अपील की है।
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कोरोना खतरे के खिलाफ छत्तीसगढ़ में JCCJ सुप्रीमो अजीत जोगी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर आने वाले खतरे से आगाह किया है। जोगी ने पत्र लिखकर
देश में नेशनल मेडिकल इमरजेंसी लागू करने की मांग
की है।
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जोगी ने पत्र में लिखा है कि एक दिन के कर्फ़्यू में ही जनता का धैर्य टूट गया है। देश में 1912 में स्पेनिश इंफ़्लूजा फैला था, जिसमें ब्रिटिश सरकार की लापरवाही से लाखों लोग मारे गए थे। मेरे ससुर के पिता की मौत भी इस स्पेनिश इंफ़्लूजा से हुई थी। इन बातों का जिक्र करते हुए जोगी ने मेजीकल इमरजेंसी लगाने की मांग पीएम से की है।
अजीत जोगी का पीएम मोदी को लिखा पत्र-
प्रति,
श्री नरेंद्र मोदी जी,
माननीय प्रधानमंत्री,
भारत सरकार,
नई दिल्ली
विषय: कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देश में तत्काल संविधान में अनुच्छेद 352 के अंतर्गत “नेशनल मेडिकल इमरजेंसी” लागू करते हुए टोटल लॉकडाउन करने बाबत।
माननीय प्रधानमंत्री जी,
जैसा कि आपको ज्ञात है पूरे देश में कोविड 19 (कोरोना वायरस) मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। मेरे यह पत्र लिखने तक देश में सीमित और सिलेक्टिव जाँच के बावजूद, 400 से अधिक मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। पिछले 2 दिनों में देश में कोरोना पीड़ितों की संख्या लगभग दुगनी हो गयी है। यदि यह सिलसिला ऐसा ही चलता रहा तो हम बहुत जल्द कोरोना वायरस के तीसरे स्टेज में पहुँच जाएंगे जहाँ “कम्युनिटी ट्रांसमिशन” के माध्यम से संक्रमण फैलेगा। यह एक ऐसा विस्फोट होगा जिसको 130 करोड़ की आबादी वाला हमारा देश सँभालने की स्थिति में कदापि नहीं है। यह स्थिति हमारे देश में महाविनाश लाएगी। आपके द्वारा लगाए गए जनता कर्फ्यू की सफलता की बधाई देते हुए मैं आपसे यह निवेदन करता हूँ कि देश में तत्काल “नेशनल मेडिकल इमरजेंसी” लागू करते हुए पूरे देश में आगामी कुछ दिनों तक टोटल लॉक डाउन कर दिया जाए।
यूरोपी राष्ट्रों की गलतियों से सीख लेते हुए तत्काल सभी बड़े समारोहों और भीड़ के जमावड़े (मनोरंजन और शैक्षणिक संस्थान तथा विवाह और अंतिम संस्कार जैसे सामाजिक आयोजन) पर देशव्यापी प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए; देश के सभी नागरिकों पर, आपात-स्थिति के अलावा, अपने-अपने घरों से बाहर जाने पर रोक लगा देनी चाहिए; और राशन (खाद्य-सामग्री) और दवाई दुकानों को छोड़कर सभी भोजनालयों (रेस्टोरेन्ट), मदिरालयों (बार), दुकानों और व्यवसायिक संस्थानों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया जाना चाहिए। लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए केंद्र-शासन के स्तर पर ज़रूरतमंद लोगों के घरों तक खाद्य जैसी आवश्यक सामग्री पहुँचाने और कर्मचारियों को वैधानिक वैतनिक अवकाश देने जैसे ठोस कदम लेना भी आवश्यक है क्योंकि अधिकांश राज्य सरकारें ऐसा कर पाने में खुद से सक्षम नहीं हैं। इस लॉकडाउन से लोगों को कष्ट और अर्थव्यवस्था को नुक़सान जरूर होगा लेकिन देश के लाखों-करोड़ों लोगों की जान भी बचेगी।
हमारे देश में इसके पूर्व 1975 में एक बार राजनैतिक कारणों से आपातकाल लागू किया गया था जिसे देश का काला अध्याय कहा जाता है। लेकिन वर्तमान में वैश्विक स्वास्थ्य आपदा को देखते हुए (जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी पैनडेमिक घोषित कर दिया है) यदि मेडिकल इमरजेंसी लागू करते हुए इस आपदा को रोका जाता है तो मुझे पूर्ण विश्वास है कि जनता इस निर्णय को सकारात्मक रूप में लेगी।
शुभकामनाओं सहित,
सादर,
(अजीत जोगी)
विडीओ लिंक-
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इसके पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना के खिलाफ बरती जा रही सतर्कता पर एख बार फिर से ध्यान आकृष्ट कराया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि लॉकडाउन को अभी भी कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कृपया करके अपने आप को बचाएं, अपने परिवार को बचाएं, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वो नियमों और कानूनों का पालन करवाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को कोरोना वायरस से बचाव के लिए तत्कालिकता और सार्वजनिक भावना से काम करने की सलाह दी है। राज्यों को किए आव्हान पर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने प्रदेश की जनता के नाम ट्वीट संद्श दिया है।
सीएम भूपेश बघेल का ट्वीट संदेश-
पीएम मोदी के ट्वीट पर सीएम बघेल ने ट्वीट किया- सभी लोग लॉकडाउन का गंभीरता से पालन करें। सुरक्षित रहना सबकी साझा ज़िम्मेदारी है।
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बता दें कि राज्य,शहर सप्ताहांत तक बिल्कुल लॉकडाउन जैसी स्थिति में आ गए हैं। पीएमओ, वरिष्ठ नौकरशाहों और मुख्यमंत्रियों को सामाजिक समन्वय को अधिकतम करने और सामुदायिक सहभागिता को कम करने के लिए घनिष्ठ समन्वय में काम करते देखा गया है। इसमें संसद शामिल है, जो सरकार के करीबी सूत्रों का कहना है कि सोमवार को वित्त विधेयक पारित होने के बाद बंद हो जाएगी। कम से कम 14 राज्यों – महाराष्ट्र, केरल, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली, नागालैंड, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर, झारखंड – ने अपनी आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद कर दिया।
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