बिलासपुर, छत्तीसगढ़। 10 साल सेवा के बाद त्यागपत्र देने वाले सहायक शिक्षक को 45 साल बाद न्याय मिल सका है। हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त देयक रोके जाने पर 1 लाख का मुआवजा और 12% सालाना संयुक्त ब्याज पीएफ राशि के साथ प्रदान करने का आदेश दिया है। दरअसल रिसाली सेक्टर भिलाई निवासी नोहरलाल कश्यप ने दिसंबर 1963 से अक्टूबर 1973 तक सहायक शिक्षक की नौकरी की, बाद में इस्तीफा दे दिया। जिसे नवंबर 1973 को स्वीकार कर लिया गया। 2 हज़ार 222 सेवानिवृत्ति देयक के रुप में सितंबर 1975 को दिए गए।
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लगातार जीपीएस के संबंध में आवेदन करने पर 1980 में विभाग ने बताया कि 1967, 68, 69 में दो बार और 1970 में दो बार राशि की कटौती तो की गई, लेकिन याचिकाकर्ता के जीपीएफ अकाउंट में नहीं जमा की जा सकी। इसके बाद वे लगातार विभाग के चक्कर लगाते रहे। याचिकाकर्ता को फरवरी 2017 को अंततः विभाग ने पूरी जानकारी चार्ट के साथ प्रदान की। 2018 में शेष भुगतान भी किया।
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45 साल बाद भी अपना हक वास्तव में नहीं मिलने पर नोहर लाल ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने माना कि संबंधित अफसरों ने लगातार असहयोगात्मक रवैया अपनाया जिसकी वजह से वह इतने साल तक परेशान रहे। जस्टिस गौतम भादुड़ी ने याचिका मंजूर कर याचिकाकर्ता को एक लाख मुआवजा देने व 12% सालाना संयुक्त ब्याज के साथ 43 दिन के भीतर अदा करने का निर्देश शासन को दिया है।
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