Watch Video: मान्यता के लिए चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का नया कारनामा, किराए पर लाकर भर्ती किए मरीज

Watch Video: मान्यता के लिए चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का नया कारनामा, किराए पर लाकर भर्ती किए मरीज

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  • Publish Date - December 3, 2019 / 05:34 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:33 PM IST

भिलाई: हाई कौर्ट से मान्यता रद्द किए जाने के आदेश के बाद चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन मान्यता के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहा है, लेकिन कॉलेज प्रबंधन की पोल कहीं न कहीं खुलकर सामने आ ही जाती है। इसी कड़ी में मान्यता के लिए चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का बड़ा कारनामा सामने आया है। दरअसल कॉलेज प्रबंधन ने मान्यता के लिए किराए के मरीज लाकर अस्पताल में भर्ती करवा दिया था, लेकिन मेडिकल काउंसिल एसोसिएशन के अधिकारियों के सामने प्रबंधन की पोल खुल गई।

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मिली जानकारी के अनुसार दुर्ग जिले के कुरूद स्थि​त चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज में बीते दिनों मान्यता को लेकर एमसीआई की टीम ने कॉलेज की जांच की। इस दौरान एमसीआई की टीम ने पाया कि कॉलेज प्रबंधन ने अस्पताल में 75 प्रतिशत मरीजों को दिखाने के लिए गांव से किराए पर मरीज ले आए और उन्हें भर्ती करवा दिया। कॉलेज प्रबंधन का करानाम यहीं समाप्त नहीं होता।

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जांच के लिए मेडिकल काउंसिल एसोसिएशन के अधिकारियों के पहुंचने से पहले कॉलेज प्रबंधन ने डॉ शिव चंद्राकर को हटाकर डॉ अरुण मरढ़िया को चेयरमैन बना दिया। इस दौरान प्रबंधन ने कॉलेज में एमसीआई की टीम को कॉलजे में 99 डॉक्टर होने का शपथ पत्र दिया, लेकिन यहां भी प्रबंधन की पोल खुलकर सामने आ गई। दरअसल एमसीआई को दी गई डॉक्टरों की सूची में 50 प्रतिशत से अधिक डॉक्टर ऐसे हैं, जिन्हें स्टूडेंट जानते भी नहीं। इस लिस्ट में कई ऐसे डॉक्टर भी हैं जो किसी अन्य संस्थान में नौकरी ज्वॉइन कर चुके हैं।

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इन कारनामों के सामने आने के बाद भी चेयरमैन डॉ अरूण मढ़रिया सभी ब्रांच में फेकल्टी और सुविधाएं होने का दावा करते हुए बच्चों का भविष्य बनाने का दावा कर रहे हैं। बता दें कि इससे पहले भी एमसीआई ने दो बार चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज को जीरो इयर घोषित कर चुकी है।

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गौरतलब है कि बीते दिनों हाईकोर्ट ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द करते हुए यहां अध्ययनरत छात्रों को अन्य कॉलेज में शिफ्ट करने का आदेश दिया था। साथ ही एमसीआई को फिर से जांच कर मान्यता के संबंध में विचार करने का निर्देश जारी किया गया था।

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