रायपुर: छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन 2021 की शुरूआत हो चुकी है। राज्य सरकार ने इसके लिए धान समेत विभिन्न फसलों की बुआई को लेकर लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया है। इस बार सरकार ने धान के रकबे को 5 फीसदी घटाने का फैसला लिया है, जिसके बाद धान के कटोरे में एक बार फिर धान को लेकर सियासी पारा चढ़ने लगा है। बीजेपी जहां सरकार पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगा रही है, तो वहीं सत्ता पक्ष का तर्क है कि उसका ये फैसला छत्तीसगढ़ में फसल विविधिकरण को बढ़ावा देगा। सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच सवाल यही है कि आखिर सरकार को धान का रकबा क्यों कम करना पड़ रहा है? सवाल ये भी कि किसानों को कम धान बोने के लिए कैसे मनाएगी सरकार?
15 साल के वनवास के बाद 2018 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की, तो इसकी बड़ी वजह किसानों को धान का दाम 25 सौ प्रति क्विंटल देने का चुनावी वादा रहा। सरकार अपने वादे के मुताबिक हर साल धान रिकॉर्ड धान खरीदी भी कर रही है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में उसे सालाना हजारों-करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। वहीं, धान उत्पाद किसानों की बढ़ती संख्या और अधिक पैदावार ने भी सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इस साल सरकार ने रिकॉर्ड 92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी। सेंट्रल पुल में चावल कस्टम मिलिंग करने के बाद अतिशेष धान की उपयोगिता को लेकर उसे काफी माथापच्ची करनी पड़ी। वहीं स्टोरेज की कमी, फिर बारिश और धूप से धान खराब भी हुए। अब इन्हीं परेशानियों से बचने के लिए राज्य सरकार ने धान का रकबा 5 फीसदी घटाने का फैसला लिया है। धान का रकबा घटाए जाने पर बीजेपी राज्य सरकार को घेर रही है, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आरोप लगाया कि सरकार धान को लेकर बड़े बड़े वादे किए लेकिन अब हांफने लगी है।
इधर राज्य सरकार कह रही है कि उसने ये फैसला राज्य में दलहन-तिलहन फसलों को बढ़ावा देने लिया है। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस साल दलहनी फसलों के रकबे में 20 प्रतिशत और तिलहनी फसलों के रकबे में 32 फीसदी की बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा गया है। वहीं बीजेपी के आरोपों पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार को किसानों की पूरी चिंता है। बीजेपी अपनी चिंता करे।
जाहिर है राज्य सरकार ने धान के रकबे को 5 प्रतिशत कम कर खरीफ के अंतर्गत दलहन-तिलहन फसल में भी राज्य को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य तय किया है। उसके मुताबिक राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी के रुप में प्रति एकड़ 10 हजार रुपए मिलने से किसान दलहन-तिलहन फसल लेने के लिए प्रेरित होंगे, लेकिन क्या सरकार का ये कदम किसानों को धान की बुआई से रोक पाएगा। इस स्थिति में सरकार को धान की बंपर पैदावार और खरीदी के लिए भी तैयार रहना चाहिए, ताकि नुकसान कम से कम हो।