Live: लोकवाणी की 5वीं कड़ी, सीएम भूपेश बघेल बोले- वनोपज के कारोबार से जोड़ा जाएगा महिला समुहों को

Live: लोकवाणी की 5वीं कड़ी, सीएम भूपेश बघेल बोले- वनोपज के कारोबार से जोड़ा जाएगा महिला समुहों को

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  • Publish Date - December 8, 2019 / 05:06 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:55 PM IST

रायपुर: लोकवाणी की 5वीं कड़ी में सीएम भूपेश बघेल ने रविवार को ‘आदिवासी विकास हमारी आस‘ के मुद्दे पर जनता से सीधे संवाद ​किया। इस दौरान सीएम भूपेश बघेल ने प्रदेश की जनता को संबोधित करते हुए सबसे पहले प्रदेश की जनता का जय जोहार कहकर अभिवादन किया। इसके बाद भूपेश बघेल ने कहा कि साल 2011 की जनगणनाा के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की संख्या एक तिहाई है। आप लोगों ने अपनी सोच, परंपरा और संस्कृति से छत्तीसगढ़ को एक अलग पहचान दी है।

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अनुसूचित जनजातियों के लोग अपनी जिंदगी में रमे हुए होते हैं। वे अपनी जरूरतों को भी मुखर करने में भी संकोच करते हैं। इसलिए ‘आदिवासी विकास हमारी आस‘ विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान सीएम भूपेश बघेल से नारायणपुर जिले के ग्रामीणों ने सीधा संवाद किया। इस दौरान उन्होंने तेंदुपत्ता के संग्रहण मजदूरी और बोनस की रकम बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का धन्यवाद किया। इसके बाद सीएम भूपेश बघेल ने दोनों ग्रमीणों का धन्यवाद करते हुए कहा कि हमने तेंदुपत्ता संग्रहण मजदूरी को 2500 रुपए से बढ़ाकर 4000 रुपए प्रति मानक बोरा कर दिया है। ताकी आप लोगों की आमदनी में बढ़ोतरी हो जाए। भूपेश बघेल ने यह भी बताया कि साल 2019 में 15 लाख मानक बोरा से अधिक तेंदुपत्ता का संग्रहण किया गया है, जिसके एवज में संग्रहणकर्ताओं को 602 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। यह राशि पिछले वर्ष की तुलना में 226 करोड़ रुपए अधिक है। इसके साथ ही हमने लघु वनोपजों की खरीदी का दायरा भी बढ़ा दिया है। पहले 7 वनोपजों की खरीदी की जाती थी, लेकिन अब 15 वनोंपजों की खरीदी की जा रही है।

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सीएम भूपेश बघेल ने आगे बताया कि 3 लघु वनोपजों, रंगीनी लाख पर 20 रुपए किलो, कुल्लू गोंद पर 20 रुपए किलो तथा कुसमी लाख पर 22 रुपए किलो अतिरिक्त बोनस देने का इंतजाम भी किया गया है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि प्रदेश में वनोपज का कारोबार लगभग 1800 करोड़ रुपए का होता है, जिसमें हमारे आदिवासी समाज को समुचित भागीदारी नहीं मिली थी। अब हमारी सरकार ने ऐसे नए रास्ते तलाशे हैं, जिससे आप सभी भाई-बहनों की आय बढ़ सकेगी।

हम आदिवासी समाज में मातृ-शक्ति को और सशक्त बनाना चाहते हैं, इस दिशा में एक नया कदम उठाते हुए यह निर्णय लिया है कि वनोपजों के कारोबार से महिला समूहों की 50 हजार से अधिक सदस्याओं को जोड़ा जाएगा। परम्परागत वैद्यकीय ज्ञान भी छत्तीसगढ़ के वन अंचलों की विशेषता है। इस कौशल को लम्बे अरसे में न तो मान्यता मिली और न सुविधा, जबकि जड़ी-बूटियों के औषधीय गुणों को लेकर कोई संदेह नहीं है। हमने परम्परागत वैद्यों के कौशल और ज्ञान को सहेजने तथा इसे उपयोग में लाने के लिए 1200 परम्परागत वैद्यों का एक सम्मेलन आयोजित किया, अब इस दिशा में कार्य आगे बढ़ाया जा रहा है।अबुझमाड़ में आवागमन की सुविधा बढ़ाने का सुझाव बहुत अच्छा है।

भूपेश बघेल ने कहा कि मैं बताना चाहता हूं कि अबुझमाड़ में राजस्व सर्वे ही नहीं हुआ था, जिसके कारण यहां विकास के कार्य प्रभावित हुए थे। हमारी सरकार ने पहली बार अबुझमाड़ का राजस्व सर्वे कराने का निर्णय लिया है। अब अबुझमाड़ में विकास की रौशनी पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता। हम प्राथमिकता से यहां सड़क, बिजली, पानी, अस्पताल, शिक्षा जैसी सारी सुविधाएँ पहुंचाएंगे।

इस समय नारायणपुर-ओरछा/नारायणपुर-धौड़ाई-कन्हार गांव- बारसूर/ नारायणपुर-सोनपुर-कोंगे जैसी अनेक सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, जिनकी लम्बाई लगभग 250 किलामीटर तथा लागत लगभग 300 करोड़ रुपए है। इसके अलावा भी एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण 150 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है। जिससे ओरछा-गुदाड़ी-कोडोली-गारपा-आकाबेड़ा-किहकाड़ आदि स्थानों पर पहुंचना आसान हो जाएगा और करीब 20 करोड़ रुपए की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, कन्या छात्रावास, शाला भवन आदि का काम भी चल रहा है।

धमतरी जिले के सिरसिदा गांव के लोगों ने लोकवाणी के माध्यम से सीएम भूपेश बघेल से बात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि हमारे गांव में 98 प्रतिशत आदिवासी गोंड़ समाज के लोग रहते हैं। यहां बालका नदी बहती है, जिससे यह क्षेत्र कटाव और क्षतिग्रस्त स्थिति में है। यहां नई पुलिया बनाने के लिए शासन को काफी बार आवेदन-निवेदन किया गया है। मुख्यमंत्री जी के लोकवाणी कार्यक्रम ‘‘आदिवासी विकास-हमारी आस’’ के माध्यम से एक बार फिर मैं निवेदन कर रहा हूं। क्या हमारी आस पूरी हो पाएगी?

मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि आपने नदी की चिंता की इसलिए मैं आपको विशेषतौर पर साधुवाद देता हूं। मैं आपसे सहमत हूं। नदी बचाने से ही जिन्दगी बचती है। इसीलिए नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है। हमारी सरकार ने आते ही ‘नरवा-गरवा-घुरवा-बारी’ के लिए एक महाअभियान शुरू किया। जिसमें नरवा का आशय नालों के साथ हर तरह के जलाशयों को बचाना है। नदी, नाले, झील, तालाब, कुएं और ऐसी हर संरचना जिससे बारिश का पानी बहने से रूके, भू-जल की रिचार्जिंग हो, नये जल स्त्रोत मिलें, ऐसे सारे उपाय हम कर रहे हैं।