इंदौर। हाईकोर्ट के हड़ताल को अवैध करार दिए जाने के बाद इंदौर में MGM मेडिकल कॉलेज डीन को 476 जूनियर डॉक्टर ने इस्तीफा सौंप दिया है।
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जूडा के सामूहिक इस्तीफा देने के बाद अस्पताल और अन्य व्यवस्थाओं की हालत बिगड़ सकती है।
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सरकार के कार्रवाई के बाद जूडा से जुड़े सभी पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है।
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इससे पहले जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने आज राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज में प्रेस कांफ्रेंस करके हाईकोर्ट के फैसले के बाद अपना पक्ष रखा। जेडीए ने कहा कि हमने अपनी मांगों को लेकर सरकार से कई बार बात करने की कोशिश की, हमें मई में आश्वासन दिया गया था कि हमारी कुछ मांगे मान ली जाएंगी। पर लिखित में आदेश नहीं निकाला गया। हमें बाद में बोला गया कि आपकी बातें नहीं मानी जाएगी, हड़ताल करना हम भी नहीं चाहते थे।
जेडीए ने कहा कि हमने कोविड ड्यूटी की, जिस दौरान हम पॉजिटिव हुए, सरकार अब दमनकारी नीति अपना रही है, कई जूडा के घर नोटिस भेजा गया है, थर्ड ईयर के टेन्योर खत्म होने के बाद भी हमने कोविड ड्यूटी की। आज थर्ड ईयर के जूडा के इनरोलमेंट खत्म कर दिए, हम सरकार से मिलने की लगातार कोशिश कर रहे हैं, हमने सरकार के वादों को माना था, इसलिए हमने तय किया है कि ये हड़ताल जारी रहेगी।
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इसके पहले आज ग्वालियर से करीब 300 जूनियर डॉक्टर और जबलपुर से करीब 400 जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। जूनियर डॉक्टर हाईकोर्ट के फैसले से नाराज सैकड़ों डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले जूनियर डॉक्टरों ने गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन को इस्तीफा सौंपने की बात कही थी।
इससे पहले जूनियर डॉक्टर्स की प्रदेशव्यापी हड़ताल के मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला करते हुए हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है। HC में लंच के बाद फिर शुरू हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स का पक्ष सुना, और जूडा को HC ने विकल्प दिया कि सरकार के आश्वासन पर तत्काल कोविड ड्यूटी बहाल करें।
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HC ने जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल अवैध घोषित करते हुए कहा कि 24 घण्टे में काम पर लौटें, काम पर न लौटें जूडा तो राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करे, सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस मोहम्मद रफ़ीक ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि कोरोनाकाल में हड़ताल ब्लैकमेलिंग की तरह है, डॉक्टर्स ने अपनी शपथ भुलाई लेकिन हम अपनी शपथ नहीं भूले हैं।