गरियाबंद। छत्तीसगढ़ की राजधानी से लगे गरियाबंद और राजिम के 10 गांव के किसान इस बार दिवाली नहीं मनाएंगे। उनके घर में न खुशियों के दिए जलेंगे और न ही एक दूसरे को मिठाई बांटकर दिवाली की बधाई देंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि जिले के 80 किसान आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। धान बेचने के बाद उनका 45 लाख रुपए राइस मिलर में अटक गया है। बार—बार भुगतान की गुहार लगाने के बाद भी पैसा नहीं मिलने से अब सभी किसानों ने दिवाली नहीं मनाने का निर्णय लिया है।
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यह है मामला
बता दें कि चार माह पहले 10 गांव के 81 किसानों ने अपना धान राजिम की कृषि मंडी में एक राइस मिलर को बेचा था। जिसका भुगतान आज तक उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है। अब इन किसान परिवारों की हालत बेहद खराब हो चुकी है आर्थिक तंगी उन्हें घेरे हुए हैं। ऐसे में दिवाली मनाने की स्थिति में नहीं होने की बात इन किसान परिवारों ने कही है।
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81 किसानों का 45 लाख रुपए बकाया होने के बाद राइस मिलर बीमार पड़ गया है और किसी का भुगतान नहीं कर रहा है किसानों ने इस राइस मिलर के खिलाफ पहले भी राजिम मंडी को बंद कर दिया था।जिसके बाद प्रशासन ने 35 दिन में सब की राशि दिलवाने का आश्वासन देते हुए मंडी प्रारंभ करवाई थी। लेकिन आज 35 दिन पूरे होने के बावजूद किसी भी किसान का भुगतान नहीं हुआ। अब दिवाली सिर पर है और किसानों के हाथ खाली है। किसान अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहा है। वहीं, इन किसानों की मांग है कि ऐसे समय के लिए ही मंडी निधि की राशि रखी जाती है। प्रशासन चाहे तो उससे भुगतान करते हुए मिलर से कस्टम मिलिंग का भुगतान रोक कर हिसाब कर सकता है।
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इस संबंध में पीड़ित किसानों ने आज गरियाबंद जिला कलेक्ट्रेट के बाहर जमकर प्रदर्शन और नारेबाजी की। इसके बाद किसान अपर कलेक्टर केके बेहार से मिले और अपनी समस्याएं बताई। वहीं अपर कलेक्टर ने मामले में मंडी निधि से राशि दिलाने का प्रयास करने की बात कही है। वहीं अगर यह संभव नहीं हुआ तो राइस मिलर कि संपत्ति से किसानों का भुगतान करवाने की बात कहीं।