रायपुर : MLA Devendra Yadav Arrested: छत्तीसगढ़ की राजनीति में शनिवार को एक बड़ी हलचल देखने को मिली। ऐसा इसलिए क्योंकि बलौदाबाजार पुलिस ने भिलाई नगर से कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव को शनिवार शाम गिरफ्तार कर लिया है। विधायक यादव की गिरफ्तारी बलौदाबाजार में हुई हिंसा के मामले में की गई। विधायक देवेंद्र यादव पर प्रदर्शन के दौरान भीड़ को भड़काने का आरोप लगा है। इस मामले में पुलिस ने उन्हें नोटिस जारी किया था। लेकिन एक बार पुलिस के समक्ष पेश होने के बाद विधायक देवेंद्र यादव दुबारा पेश नहीं हुए। बलौदाबाजार हिंसा मामले में देवेंद्र यादव को लगातार नोटिस जारी किया गया था। चौथी बार नोटिस जारी होने के बाद विधायक ने बयान देने जाने से मना किया। उन्होंने कहा था कि पुलिस को जो भी बयान लेना है, उनके पास आए और लेकर जाए।
इसी मामले में आज बलौदाबाजार पुलिस आज भिलाई नगर सेक्टर 5 स्थित विधायक निवास पहुंची, तो विधायक के समर्थकों ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया। लगभग पूरे दिन की खींचतान के बाद शनिवार शाम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस विधायक यादव को लेकर बलौदाबाजार के लिए रवाना हो गई।
MLA Devendra Yadav Arrested: गिरफ्तारी से पहले देवेंद्र यादव ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि जेल में बंद सतनामी समाज के युवाओं को मेरे खिलाफ जबरन बयान देने के लिए धमकाया जा रहा है। उनसे ये बोलने को कहा जा रहा है कि देवेंद्र यादव 12 गाड़ियों में भरकर लोगों के साथ आए थे।
MLA Devendra Yadav Arrested: वहीं विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के बाद क्या उन्हें विधायकी छोड़नी पड़ेगी या फिर वे विधायक के पद पर बने रहेंगे। देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के बाद से ये सवाल चर्चा का विषय बने हुए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि देश के कानून कहता है कि, अगर कोई व्यक्ति दोषी पाए जाने के बाद अदालत से दो साल या उससे ज्यादा की सजा पाता है तो वह विधायकी या सांसदी के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा।
अभी देवेंद्र यादव को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाना बाकी है। जब कोर्ट में देवेंद्र यादव को पेश किया जाएगा तब पता चलेगा कि कोर्ट इस पूरे मामले में आखिर क्या फैसला सुनाता है। कुल मिलाकर देवेंद्र यादव के लिए अभी ये लड़ाई काफी लंबी है और कोर्ट के फैसले का बाद ही ये साफ हो पाएगा कि उनकी विधायकी बचेगी या नहीं।
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MLA Devendra Yadav Arrested: यदि वह संसद द्वारा पारित जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की निम्नलिखित में से किसी धारा के अनुसार अयोग्य हो- यदि वह किसी अपराध का दोषी है तथा उसे 2 वर्ष या इससे अधिक की सज़ा दी गई है।
यदि कोई उच्च न्यायालय दोषसिद्धि पर रोक लगा देता है या दोषी सदस्य के पक्ष में अपील का फैसला करता है तो अयोग्यता के निर्णय को वापस लिया जा सकता है।
यह कानून कहता है कि अगर कोई व्यक्ति दोषी पाए जाने के बाद दो साल या उससे ज्यादा की सजा अदालत से पाता है तो वह अयोग्य ठहराया जाएगा। इसी मामले में राहुल गांधी और अफजाल अंसारी की लोकसभा सदस्यता को रद्द कर दिया गया था। इस कानून के तहत लोकसभा से निष्कासित किए जाने के बाद व्यक्ति 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। हालांकि मौजूदा सदस्यों को इसमें एक छूट या राहत भी मिलती है। इसके तहत मौजूदा सांसदों, विधायकों या विधानपरिषद सदस्यों को दोषी ठहराए जाने के दिन से अपील के लिए 3 महीने की छूट दी जाती है। इसी लाभ का राहुल गांधी को लाभ मिला और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था।