रायपुर: क्या छत्तीसगढ़ में भी विनिवेश बनेगा चुनावी मुद्दा? क्या कांग्रेस इस मुद्दे को चुनाव में भुनाने की तैयारी कर रही है? आखिर नगरनार पर क्या है बीजेपी का स्टैंड? ऐसे तमाम सवाल हैं, जो छत्तीसगढ़ की हालिया सियासी गतिविधियों के बाद उठ रहे हैं। दरअसल NMP के मुद्दे पर कांग्रेस मोदी सरकार की नीयत पर सवाल उठा रही है तो बस्तर स्थित नगरनार के निजीकरण के मुद्दे पर भूपेश सरकार केंद्र और छत्तीसगढ़ बीजेपी को कठघरे में खड़ी करती आई है। सरी ओर बीजेपी, जिसने मिशन 2023 के चुनावी अभियान की शुरूआत तो बस्तर में चिंतन शिविर से कर दी है। लेकिन बस्तर के बड़े मुद्दों में शामिल नगरनार के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की, वो भी तब जब बस्तर के लोगों के लिए नगरनार का मुद्दा अहम है।
नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन के मुद्दे पर कांग्रेस एक बार फिर केंद्र सरकार पर जमकर बरसी। रायपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार पर सरकारी संपत्तियों को बेचने का आरोप लगाया। इस दौरान सीएम भूपेश बघेल और पीसीसी प्रभारी सचिव चंदन यादव भी मौजूद रहे। जाहिर है सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 6 लाख करोड़ रुपए की NMP की घोषणा के बाद से कांग्रेस केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि बीजेपी जवाबी हमला करते हुए कांग्रेस पर भ्रम फैलाने का आरोप लगा रही है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा जिस कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में देश के हर चीज को बेच दिया, उसे दूसरों पर आरोप लगाने का कोई हक नहीं।
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छत्तीसगढ़ बीजेपी भले केंद्र की मोदी सरकार के बचाव में दलील दे रही हो, लेकिन बस्तर स्थित नगरनार के विनिवेश के मुद्दे पर वो कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस आरोप लगा रही है कि नगरनार स्टील प्लांट को केंद्र सरकार बेचने पर आमादा है और छत्तीसगढ़ बीजेपी के नेता शांत हैं। कांग्रेस ने कटाक्ष करते हए कहा कि बस्तर और आदिवासी के हक की बात करने वाली बीजेपी ने अपने तीन दिवसीय चिंतन शिविर में नगरनार मुद्दे पर चर्चा करना भी मुनासिब नहीं समझा। हालांकि बीजेपी इस बारे में बेहद संभलकर जवाब दे रही है।
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ऐसा कहा जाता है कि बस्तर में जीत के साथ ही छत्तीसगढ़ की सत्ता का द्वार खुलता है। शायद यही वजह है कि बस्तर इन दिनों अचानक ही सियासी गतिविधियों के केंद्र में आ गया है। सियासी पार्टियां इस आदिवासी बहुल इलाके की ओर कूच कर रही हैं। कांग्रेस जहां बस्तर में राहुल गांधी के आगमन की तैयारियों में जुटी है, तो बीजेपी अपने खोई हुई जनाधार को वापस पाने बस्तर में तीन दिन तक चिंतन की। जीत के फॉर्मूला तलाशने छग बीजेपी ने धर्मांतरण से लेकर नक्सलवाद और प्रदेश सरकार की अब तक के कार्यकाल पर विचार विमर्श किया, लेकिन नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के विषय में कोई चर्चा नहीं की। जबकि बस्तर में नगरनार का निजीकरण का मुद्दा बहुत बड़ा है, जो सीधे-सीधे बस्तर की जनता के सेंटिमेंट से जुड़ा है। ऐसे में नगरनार पर बीजेपी का स्टैंड कई सवालों को जन्म दे रहा है।