रेडी टू ईट पर घमासान! क्या सदन में उठाए इस मुद्दे को आसानी से छोड़ेगा विपक्ष?

रेडी टू ईट पर घमासान! क्या सदन में उठाए इस मुद्दे को आसानी से छोड़ेगा विपक्ष? Will BJP easily give up on issue of ready to eat?

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  • Publish Date - March 11, 2022 / 10:41 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:23 PM IST

रायपुर: Will BJP easily give up छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र का पांचवा दिन भी भारी हंगामेदार रहा। विपक्ष ने कई मुद्दों पर सरकार की घेरा, जिसका सत्तापक्ष ने भी करारा जवाब दिया। प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने रेडी टू ईट का मुद्दा उठाया। आरोप लगाया कि सरकार स्व सहायता समूहों की महिलाओं से 1000 करोड़ रुपए का काम छीन कर प्राइवेट फर्म को देने की साजिश रच रही है। जवाब में प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज कर सरकार का पक्ष भी रखा, लेकिन इस मुद्दे पर बहस, विरोध और हंगामा नहीं थमा। सवाल ये कि क्या इस मुद्दे पर विपक्ष की चिंता वाकई जायज है या फिर उनके लिए महज एक बड़ा सियासी अवसर हाथ लगा है?

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Will BJP easily give up छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के पांचवां दिन का प्रश्नकाल रेडी-टू-ईट योजना के नाम रहा। विपक्ष के तीन विधायकों ने इसे लेकर सवाल लगाए, चर्चा के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश की 1605 स्व सहायता समूह से जुड़ी 16 हजार 600 से ज्यादा महिलाओं से 1 हजार करोड़ का काम छीनकर हरियाणा की एक फर्म को सौंपने की तैयारी है। इसकी जांच होनी चाहिए। इस पर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने जवाब दिया कि साल 2013 में केंद्र सरकार ने इस बावत एक पत्र लिखा था कि रेडी टू ईट उत्पाद को स्पर्शरहित, बैक्टीरिया रहित सुपोषण मानकों के अनुरूप तैयार कराया जाए। उसी निर्देश का पालन करते हुए मशीनों से रेडी-टू-ईट तैयार करवाने के लिए अब बीज निगम के साथ ही एक अन्य फर्म को ये काम सौंपा गया।

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सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने इस पर कहा कि काम में बीज निगम का शेयर मात्र 26 प्रतिशत है, जबकि हरियाणा की फर्म की हिस्सेदारी 74 फीसदी है। इस मुद्दे पर प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने लगातार हंगामा किया। प्रश्नकाल के अंत तक विपक्षी विधायकों ने गर्भगृह पहुंच कर नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके चलते सारे के सारे विधायक स्वत: निलंबित हो गए।

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विपक्ष का तर्क है कि फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर महिला स्वं सहायता समूह के पक्ष में फैसला दिया था, जिसके आधार पर रेडी टू ईट का काम समूह की महिलाएं करती आई हैं। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्य सचिव ने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट एक हलफनामा भी पेश किया था। साथ ही रेडी फूड की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए महिला स्व सहायता समूहों ने कर्ज लेकर मशीनें भी खरीदी, जिसका कर्ज अब भी महिला समूहों पर है। इस सरकार का दावा है कि प्रदेश की किसी भी समूह की महिलाएं बेरोजगार नहीं होंगी, क्योंकि रेडी टू ईट के वितरण का काम महिला स्व सहायता समूह को ही दिया जाएगा।

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कुल मिलाकर सदन में इस मुद्दे पर सत्ता-पक्ष और विपक्ष ने डटकर अपना पक्ष रखा है। विपक्ष ने महिला समूहों के रोजगार पर संकट को लेकर सवाल उठाए हैं तो सरकार ने इस चिंता को खारिज किया है। सवाल ये कि क्या सदन में उठाए इस मुद्दे को विपक्ष आसानी से छोड़ेगा?

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