रायपुरः छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को विधानसभा के बाद लोकसभा में भी हार का सामना करना पड़ा है। लोकसभा में हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस के भीतर समीक्षा की मांग उठने लगी है, लेकिन पार्टी अब तक समीक्षा बैठक नहीं बुला सकी। आखिर कांग्रेस हार के बावजूद क्यों समीक्षा का साहस क्यों नहीं जुटा पा रही है। क्यों पार्टी में लगातार उठ रही समीक्षा की मांग?
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क्या टिकट वितरण में गड़बड़ी से हारी कांग्रेस? क्या अति आत्मविश्वास की वजह से हारी कांग्रेस? ये वो सवाल हैं, जिनके जवाब खुद कांग्रेसी भी मांग रहे हैं। लेकिन अब तक उन्हें इनका जवाब नहीं मिल पाया है। क्योंकि छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने अब तक लोकसभा चुनाव की हार की समीक्षा नहीं की। वो भी तब जब पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर ताम्रध्वज साहू, कवासी लखमा और शिव डहरिया को भी लोकसभा के रण में उतार दिया. कांग्रेस के सभी दिग्गज चुनाव हार गए। महज एक सीट कोरबा ही जीत पाई। ऐसे में कांग्रेस के भीतर अब समीक्षा की मांग उठ रही है। पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू और शिव डहरिया के बाद अब पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू ने लोकसभा चुनाव में हुए हार की समीक्षा की मांग की है। कांग्रेस नेताओं की मांग पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने भी जल्द समीक्षा होने की बात कही है।
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कांग्रेस नेताओं की मांग पर पीसीसी चीफ लोकसभा चुनाव मे हार की समीक्षा की बात कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी तंज कस रही है कि इससे कुछ हासिल नहीं होगा। खैर कांग्रेस लगातार दो बड़ी हार से हताश है, जिसके बाद कांग्रेस संगठन में बदलाव की अटकलें तेज है। इन परिस्थितियों में सबकी निगाहें अब हाईकमान पर टिकी है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जब हार की समीक्षा होगी तो वर्तमान नेतृत्व के पक्ष में फैसला आता है या कोई बड़ा बदलाव देखने मिलेगा।