क्यों नाराज हैं शेडो MLA…इनकी नाराजगी 2023 में कांग्रेस की तैयारियों पर भारी पड़ेगी?

इनकी नाराजगी 2023 में कांग्रेस की तैयारियों पर भारी पड़ेगी?! their displeasure will overwhelm Congress's preparations in 2023?

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  • Publish Date - October 19, 2021 / 11:16 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:01 PM IST

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Congress’s preparations in 2023

रायपुर: 2018 में प्रचंड बहुमत के साथ छत्तीसगढ़ की सत्ता में आई कांग्रेस ने हारे हुए प्रत्याशियों के मान-सम्मान का भी ख्याल रखा है। इसके लिये पार्टी ने इन्हें शेडो MLA की उपाधि देते हुए ये व्यवस्था बनाई थी कि ये निर्वाचित विधायकों की तरह ही काम करेंगे। लेकिन अब ऐसी खबरें हैं कि इन शेडो विधायकों की पूछपरख नहीं हो रही। इनकी शिकायत है कि जिन लोगों की वजह से इनकी हार हुई। सत्ता और संगठन में उन्हें तरजीह मिल रही है। ऐसे में सभी प्रत्याशियों ने एकजुट होकर फैसला लिया है कि इस बात कि जानकारी वो मुख्यमंत्री, प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष को देंगे। बड़ा सवाल है कि कांग्रेस के शेडो विधायक क्यों नाराज हैं? क्या इनकी नाराजगी 2023 में कांग्रेस की तैयारियों पर भारी पड़ेगी?

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2018 विधानसभा चुनाव में हारने वाले कांग्रेस प्रत्याशी सोमवार को रायपुर के निजी होटल में एकसाथ जुटे। इन नेताओं के यूं मिलने के बाद प्रदेश के सियासी गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। इस मीटिंग के सियासी मायने तलाशे जाने लगे। दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में पराजित प्रत्याशियों का अपने विधानसभा में मान सम्मान में कमी न रहे। इसलिए पीसीसी प्रभारी पीएल पुनिया ने इन्हें शेडो MLA की उपाधि देते हुए कहा था कि ये भी कांग्रेस के निर्वाचित विधायक की तरह ही काम करेंगे। साथ ही ये दावा किया कि सरकार भी इनकी बात सुनेगी। लेकिन वक्त बीतने के साथ हारे हुए प्रत्याशी अपने आप को असहाय महसूस करने लगे हैं। लिहाजा अब इन्होंने बैठक कर खुलकर कहा कि पार्टी के भीतर के जिन लोगों के कारण वो हारे उन्हें तो सत्ता और संगठन में पद,और तरजीह मिल रही है। इन सभी पराजित प्रत्याशियों ने निर्णय लिया कि वो उनके विधानसभा में आ रही समस्याओं की जानकारी मुख्यमंत्री, प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष को देंगे।

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जाहिर है कांग्रेस के पराजित प्रत्याशियों का दर्द विपक्षी भाजपा के लिए एक और मौका है कांग्रेस पर हमलवार होने का। रायपुर सांसद सुनील सोनी ने तंज कसते हुए कहा है कांग्रेस में जीते हुए विधायकों की नहीं सुनी जा रही है तो पराजित प्रत्याशियों की कौन सुनेगा। जबकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम का दावा हैं कि यहां चाहे चुने विधायक हों या हारे प्रत्याशी सभी मिलकर आमजनों के लिए काम कर रहे हैं। अगर पराजित प्रत्याशियों की कोई शिकायत आएगी तो संगठन स्तर पर जरुर सुनी जाएगी।

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वैसे भी छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई नेता निगम-मंडल और आयोग में जगह ना मिलने से पहले ही नाराज चल रहे हैं। ऐसे में इन शेडो विधायकों की नाराजगी पार्टी के भीतर अंदरूनी चुनौतियां बढ़ा सकती है। सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या कांग्रेस पार्टी सत्ता और संगठन के इन नाराज नेताओं को वक्त रहते संतुष्ट कर उन्हें मिशन 2023 के लिए फिर मैदान में सक्रिय कर पाएगी?

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