रायपुर: राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है और ऐसा ही कुछ इन दिनों छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राजनीति में देखा जा रहा है। रामानुजगंज से कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह अपने ही मंत्री, आदिवासी समाज और फिर पत्रकारों पर आपत्तिजनक बयानबाजी कर स्वयं खेद और माफी मांग रहे हैं। पहले आरोप और फिर माफीनामा। बृहस्पत सिंह के बयानों के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर इन बयानों से किसको फायदा और किसे नुकसान हो रहा है?
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पिछले कुछ दिनों से अपने बयानों के कारण कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह सुर्खियों में है। इनके बयानों के कारण सत्ता और संगठन से जुड़े पदाधिकारियों को जवाब देते नहीं बन रहा है। स्वयं बृहस्पत सिंह को अपने ही जिले और विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। इस विवाद स्थिति से कांग्रेस पार्टी और सरकार के साथ स्वयं बृहस्पत सिंह कैसे बाहर आएंगे? ये बड़ा सवाल है आरोप, विवाद और माफीनामे की सियासत..इसकी शुरुआत तब हुई..जब बृहस्पत सिंह ने 24 जुलाई को आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव उनकी हत्या कराना चाहते हैं।
हालांकि बाद में टीएस सिंहदेव पर लगाए आरोपों पर उन्होंने खेद व्यक्त किया। जबकि आदिवासियों को अंगूठा छाप बताने वाले अपने बयान पर बृहस्पत सिंह ने लिखित में माफी मांगी, जिसकी पुष्टि सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष अनूप टोप्पो ने की है। ऐसे में सवाल उठने लगे है कि बृहस्पत सिंह ने सदन में माफी की जगह खेद शब्द का प्रयोग क्यों किया? क्या वे किसी के दबाव में सिंहदेव से अपनी नाराजगी कायम रखना चाहते है? क्या उन्हें अपने अगले विधानसभा चुनाव में हार का डर दिखने लगा ? इसलिए आदिवासी समाज से माफी मांगी?
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अब इस पर बीजेपी राज्य सरकार और संगठन को घेर रही है। वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि राज्य सरकार कांग्रेस विधायकों को संतुष्ट करने में असफल हुई है। बृहस्पत सिंह ने दुखी होकर बयान दिया है। इसलिए वह मानसिक रुप से परेशान होकर अलग -अलग बयान दे रहे हैं। वहीं, कांग्रेस संचार प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि बृहस्पत सिंह के बयान पर पार्टी फोरम में चर्चा हुई है। इसलिए अब इस पर कुछ बोलना उचित नहीं होगा।
छत्तीसगढ़ में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ढाई साल से भी कम समय बचा है। इसलिए कांग्रेस को इस तरह के बयानों से दूरियां बनाते हुए राज्य सरकार के कामकाज को जनता तक पहुंचाने पर काम किया जाना चाहिए। नहीं तो विपक्ष ऐसे ही बार-बार कांग्रेस सरकार और संगठन को कठघरे में खड़े करता रहेगा।