सुकमाः Irregularities in PM Housing Scheme गरीब परिवारों के पक्के घर के सपने को पूरा करने के लिए मोदी सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना संचालित कर रही है। सरकार इस योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए आवास मित्रों की नियुक्ति की है, लेकिन अब वे ही इस पर भ्रष्टाचार करने में लगे हुए हैं। सुकमा में आवास मित्र परअधिकारियों के साथ मिलीभगत कर 9 अपूर्ण आवासों को पूर्ण बताने का आरोप लगा है। जब हितग्राहियों के खाते में पैसे आए तो अंगूठे लगवाकर बैंक खाते से पैसे निकाल लिया। इस संबंध में हितग्राहियों ने आला अफसरों से शिकायत की तो इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
Irregularities in PM Housing Scheme मिली जानकारी के अनुसार पूरा मामला सुकमा जनपद पंचायत के नीलवरम पंचायत का है। यहां के रहने वाले कवासी मुया, कवासी माड़ा, कवासी बुधरा, कवासी पोदिया, सोड़ी सोमारू, मड़कम मुया, वेट्टी लक्का, पोड़ियाम हिड़मा और वंजाम मुका नाम पर 2017-18 में पीएम आवास स्वीकृत हुआ था। ग्रामीणों की निरक्षरता का फायदा उठाते हुए आवास मित्र मड़कम मंगल ने अपना खेल शुरू किया। अधिकारियों को उसने अधूरे मकानों को पूर्ण होने की झूठी जानकारी दी। अफसरों से सांठगांठ कर रकम निकाल ली। इसकी जानकारी होने पर हितग्राहियों ने ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों के साथ कलेक्टर से शिकायत की। ग्रामीणों का आरोप है कि कार्रवाई से बचने एक गजब तरकीब अपनाया और 23 दिसंबर को प्रभारी मंत्री के सामने भाजपा प्रवेश कर लिया। ग्रामीणों का कहना है कि अब उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।
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इधर मामले को लेकर अब प्रदेश में सियासत भी गर्म हो गई है। कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक धनेंद्र साहू ने कहा कि आरोपी के भाजपा प्रवेश से साफ है कि भाजपा घपलेबाज को पनाह देती है। दोषी है तो कार्रवाई होनी चाहिए, ना कि उसके बचाव के लिए पार्टी में प्रवेश देना चाहिए।
सुकमा जिले में आवास मित्रों पर आरोप है कि उन्होंने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर 9 अपूर्ण आवासों को पूर्ण बताकर रकम निकाली। इसके बाद उन्होंने हितग्राहियों के अंगूठे लगवाकर बैंक खाते से पैसे निकाल लिए।
जब हितग्राहियों ने शिकायत की, तो कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। आरोपी आवास मित्र ने मामले से बचने के लिए 23 दिसंबर को भाजपा में प्रवेश कर लिया, जिसके बाद सियासत भी गर्म हो गई।
ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों के साथ कलेक्टर से की थी, लेकिन इसके बावजूद कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।